बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा करने से संकटो का नाश होता है और मनोकामना की पूर्ति होती है. लेकिन क्या आपको जानते है कि बुधवार के दिन ही मंगलपूर्ति की पूजा क्यों होती है. इसका क्या महत्व है और इससे क्या लाभ होता है. तो चलिए आज हम आपको बतातें हैं कि गणेश जी की पूजा बुधवार के दिन क्यों होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती की कृपा से जब श्री गणेश जी की उत्पत्ति हुई थी, तब उस समय भगवान शिव के धाम कैलाश में बुध देव उपस्थित थे. बुध देव की उपस्थिति के कार श्रीगणेश जी की आराधना के लिए वह प्रतिनिधि वार हुए यानी बुधवार के दिन गणेश जी पूजा का विधान बन गया. महत्व और लाभ शास्त्रों में बुधवार को सौम्यवार भी कहा जाता है. इस दिन विघ्नहर्ता की पूजा की जाती है. आपको बता दें कि हर कार्य से पहले श्रीगणेश की पूजा करने का विधान है. ऐसे में बुधवार का दिन किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ माना जाता है. इतना ही नहीं मान्यता है कि जिन लोगों का बुध कमजोर हो, उन लोगों को बुधवार को विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। बुधवार को पूजा के लिए क्या करें 1. गणेश जी की पूजा में दुर्वा की 21 गाठें चढ़ाएं. 2. बुधवार के दिन गणेश जी को गुड़ और गाय के घी का भोग लगाएं. ऐसा करने से व्यक्ति को विशेष फल मिलता है. 3. बुधवार को गणेश जी को शमी के पत्ते अर्पित करने से व्यक्ति का बुद्धि-विवेक बढ़ता है. 4. आज के दिन गणेश जी को बूंदी के लड्डू और लाल सिंदूर अर्पित करें. 5. बुधवार के दिन घर में गणेश जी की श्वेत मूर्ति स्थापित करने और उनको श्वेत मोदक अर्पित करने से घर के क्लेष दूर होते हैं. घर-परिवार में शांति बनी रहती है.
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