महाकाल की नगरी उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। इस नगरी में आपको हर गली में एक ना एक मंदिर देखने को अवश्य मिलेगा। हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को समर्पित कई मंदिर हैं। और उन देवी-देवताओं के प्रति लोगों की भक्ति देखते ही बनती है। किसी विशेष उत्सव पर तो इन मंदिरों में मानो जैसे भक्तों की लहर उमड़ आती है। हर मंदिर के साथ एक विशेषता जुड़ी है। कई बार तो यह विशेषता, एक अद्भुत रूप ले लेती है। ऐसा ही एक मंदिर है ‘नागचंद्रेश्वर मंदिर’ जो कि उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे भाग में स्थित है। नागचंद्रेश्वर मंदिर का अपना अलग महत्व है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि मंदिर के कपाट साल में सिर्प एक बार नाग पंचमी के दिन 24 घंटे के लिए ही खोले जाते हैं। आइए जानते हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर की क्या हैं खास बातें नेपाल से लाई गई थी प्रतिमा भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति काफी पुरानी है और इसे नेपाल से लाया गया था। नागचंद्रेश्वर मंदिर में जो अद्भुत प्रतिमा विराजमान है, उसके बारे में कहा जाता है कि वह 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में शिव-पार्वती अपने पूरे परिवार के साथ आसन पर बैठे हुए हैं और उनके ऊपर सांप फन फैलाये हुए है। बताया जाता है कि इस प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था। उज्जैन के अलावा कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है। यह दुनिया भर का एकमात्र मंदिर है जिसमें भगवान शिव अपने परिवार के साथ सांपों की शय्या पर विराजमान हैं। त्रिकाल पूजा की है परंपरा मान्यताओं के अनुसार, भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की परंपरा है। त्रिकाल पूजा का मतलब है, तीन अलग-अलग समय पर पूजा। पहली पूजा मध्यरात्रि में महानिर्वाणी होती है, दूसरी पूजा नाग पंचमी के दिन दोपहर में शासन द्वारा की जाती है और तीसरी पूजा नाग पंचमी की शाम को भगवान महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति करती है। इसके बाद रात 12 बजे वापिस से एक साल के लिए मंदिर को बंद कर दिया जाता है। पौराणिक कथा मान्यताओं के मुताबिक, सांपों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए तपस्या की थी, जिससे वे प्रसन्न हुए और सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया। वरदान के बाद से राजा तक्षक ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल के वन में वास करने से पूर्व उनकी यही इच्छा थी कि उनके एकांत में कोई विघ्न ना हो। इसलिए यही प्रथा चली आ रही है कि सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही उनके दर्शन होते हैं। शेष समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर को बंद कर दिया जाता है। नाग पंचमी यानी कि आज के दिन, भक्त, भगवान नागचंद्रेश्वर के दुर्लभ दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
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