हिन्दू धर्म में श्री कृष्ण, को भगवान विष्णु का 8वां अवतार माना जाता है। इन्हें तो कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी जाना जाता है। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण को बचपन से ही स्वादिष्ट भोजन अतिप्रिय था और जब भी जन्माष्टमी मनाई जाती है, लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को 56 प्रकार के भोग क्यों लगाए जाते हैं? पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का बचपन गोकुल में बीता था। उनकी माता यशोदा उन्हें प्रतिदिन आठ प्रहर भोजन कराती थीं। एक बार देवराज इंद्र, गोकुल वासियों से रुष्ट हो गए और उन्होंने गोकुल पर बारिश का कहर बरसा दिया। तब भगवान श्री कृष्ण ने सात दिनों तक बिना खाए-पिये गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाये रखा और सातवें दिन जब बारिश रुक गई और गोकुल वासी गोवर्धन के नीचे से निकल आये, तब उन्हें ध्यान आया कि कान्हा ने तो सात दिनों से कुछ खाया ही नहीं है। तब माता यशोदा और सभी गोकुल वासियों ने श्री कृष्ण के लिए सात दिन और आठ प्रहर के हिसाब से छप्पन प्रकार के अलग अलग पकवान बनाये और लड्डू गोपाल को खिलाए। तभी से भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने की प्रथा चली आ रही है। जन्माष्टमी के दिन जगह-जगह पर कृष्ण लीलाओं की झांकियां लगती हैं और भक्तों का, श्री कृष्ण के प्रति प्रेम देखने को मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, अगर भक्त का प्रेम, श्री कृष्ण के प्रति सच्चा है, तो वे उस भक्त को हर परेशानी से निकलने में उसका मार्गदर्शन करते हैं। ब्रज क्षेत्र में तो जन्मोत्सव की धूम तो देखते ही बनती है।
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