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दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भारत में नहीं है, जानिए इसका इतिहास और ख़ासियत

अंकोर: भारत दुनिया में सबसे बड़ा हिंदू आबादी वाला देश है। लेकिन दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भारत में मौजूद नहीं है बावजूद इसके कि भारत में ही हिंदू धर्म की जड़ें समाई हुई है। भारत से लगभग 4800 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कम्बोडिया जहाँ दुनिया का सबसे बड़े मंदिर स्थित है। कम्बोडिया के अंकोरवाट में संसार का प्रसिद्ध और विशालकाय विष्णु मंदिर है। प्राचीन समय में कम्बुज के नाम से जाना जाने वाला कम्बोडिया कई शानदार स्मारक हैं। इस देश में कुल 27 राजाओं ने शासन किया है जिसमें कुछ हिंदू और बौद्ध थें। कहा जाता है कि बौद्ध राष्ट्र होने से पहले यह एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था।  अंकोरवाट मंदिर अंकोरयोम नामक नगर में स्थित है जिसे पहले यशोधारपुर नाम से जाना जाता था। जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल (1181-1205) के दौरान अंकोरवाट कम्बोडिया की राजधानी थी। यहाँ स्थित भगवान विष्णु के मंदिर अंकोरवाट का निर्माण कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय (1049-1066 ई.) ने करवाया था। लंबे समय तक गुमनामी में रहने वाला यह मंदिर 19वीं शताब्दी के मध्य में एक फ़्रांसीसी पुरातत्वविद  हेनरी महोत के द्वारा अस्तित्व में लाया गया। बात करें इस मंदिर की तो यह एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है जिसके अंदर तीन खंड है और हर खंड में आठ गुम्बज हैं। यहाँ ऊपर खंड तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई है और जिसमें सुंदर सुंदर मूर्तियाँ हैं। हर खंड की ऊँचाई की बात करें तो 180 फुट है। यहाँ के मुख्य मंदिर की बात करें तो यह तीसरे खंड में मौजूद है जिसका शिखर 213 फुट  ऊँचा है। अंकोरवाट मंदिर के चारों ओर लगभग 700 फुट की चौड़ी खाई है जिसमें हमेशा ही पानी भरा रहता है। खाई के पश्चिम ओर पत्थर का बना हुआ एक पुल मौजूद है जो मंदिर के पश्चिम द्वार के पास से पहली वीथि तक बना हुआ मार्ग है। यह मार्ग 1560 फूट लम्बा है और ज़मीन से सात फुट ऊँचा है। नगर और खाई की बीच स्थित एक विशाल वर्गाकार सुरक्षा दीवार है जो नगर की रक्षा करती है और इन दीवारों में अनेक भव्य महाद्वार बने हुए हैं।   अंकोरवाट मंदिर 162.6 हेक्टेयर यानी दो किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ और यह मीकांक नदी के किनारे स्थित है जहाँ का शांत वतारवरण मन को मोहित कर लेता है। इस मंदिर की ख़ासियत की बात करें तो जगह जगह पर रामायण और महाभारत की चित्रकारी देखने को मिलती है जो हिंदू धर्म के इतिहास एवं गौरव को बयां करती है। माना यह भी जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महल के रूप में करवाया गया था जिसको भगवान इंद्र ने अपने बेटे के लिए बनवाया था। इस मंदिर के संरक्षण का जिम्मा भारत ने 1986 से 1993 तक सम्भाला। भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा इस मंदिर की देखभाल की जा रही थी। विश्व के लोकप्रिय पर्यटन होने के साथ साथ ये मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर में से एक है। फ्रांस से आज़ाद होने के बाद अंकोरवाट मंदिर को कम्बोडिया के राष्ट्रध्वज में भी 1983 स्थान दिया गया।