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बुंदेलखंड के आठवीं शताब्दी के बने सूर्य मंदिर में होगा लाइट एंड साउंड शो, दिल्ली की एजेंसी को सौंपी गई ज़िम्मेदारी

बुंदेलखंड (महोबा):  भारत के एकमात्र पुरातात्विक महत्व के चंदेलकालीन सूर्य मंदिर को विकसित करने के नज़रिए और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लाइट और साउंड शो शुरू करवाया जाएगा। यह सूर्य मंदिर बुंदेलखंड के महोबा में स्थित उत्तर भारत का एकमात्र पुरातात्विक चंदेल मंदिर है। इस शो के आयोजित किए जाने के पीछे की वजह है संत गुरु गोरखनाथ की तपस्थली गोरखगिरी का विकास करना है। इस पूरे क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की बात करी जा रही है। आठवीं शताब्दी में बने इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्थापत्य कला की अप्रतिम धरोहर उक्त सूर्य मंदिर में पर्यटकों के आकर्षण के लिए लाइट एन्ड साउंड शो शुरू कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है। इस होने वाले शो से जुड़ी तैयारियाँ शुरू भी कर दी गई है और इसकी पूरी ज़िम्मेदारी दिल्ली की एजेंसी ‘क्रिस्टल वॉटर फ़ाउंडेशन’ को दी गई है। बताया जा रही कि  इस एजेंसी को शुरुआत में दो साल के लिए काम दिया जाएगा उसके बाद दर्शकों का शो के प्रति उत्साह देखने के बाद अनुबंध को आगे बढ़ाया जा सकता है। इस लेजर शो के माध्यम से लोगों को महोबा की प्राचीन चन्देल  विरासत के रूप में सूर्य मंदिर के बारे में जान पाएँगे। इसके माध्यम से दर्शक सूर्य मंदिर के इतिहास और ख़ासियत के बारे में जान पाएँगे। इस पूरे शो के लिए जिला खनिज न्यास से 17.60 लाख रुपए उपलब्ध कराई गई है।  महोबा शहर से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस सूर्य मंदिर तक पहुँचने में रात के वक़्त काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। रात के वक़्त यहाँ जाने वाले रास्तों में अँधेरा पसरा हुआ रहता है। लेकिन अधिकारियों द्वारा दिए गए बयान में बोला गया है कि  इस सूर्य मंदिर तक रात में पहुँचने के लिए औटोमेटिक सौर ऊर्जा चालित स्ट्रीट लाइट लगाई जाएँगी जिससे पूरी सड़क पर रौशनी होगी। इस सूर्य मंदिर के विकास योजना के तहत सात सौ एकड़ के विशाल क्षेत्रफल में रहिल सागर को अमृत सागर घोषित करने के बाद उसकी खुदाई का कार्य किया जाएगा। इस परियोजना से यहाँ जल संरक्षित किया जाएगा। इसके अलावे इस सूर्य मंदिर में फ्लड लाइट लगवाई जाएगी जिससे  ये मंदिर रौशनी में अपनी ख़ूबसूरती बिखेर सके।