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नटराज की चित्ताकर्षक मुद्रा में विराजे हैं 11वीं सदी के गणपति, भक्तों का लगता है जमावड़ा 

राजस्थान (बाँसवाड़ा):  राजस्थान ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक जगहों से परिपूर्ण है। चाहे वह मंदिर हो या राजा महाराज के सुंदर महल हो सभी कुछ राजस्थान में मौजूद हैं। राजस्थान के बाँसवाड़ा-डूंगरपुर नेशनल हाइवे पर तिलकपुर पाटन नगरी से मशहूर तिलवाड़ा के त्रिपुरा सुंदरी मंदिर मार्ग पर है 11 सदी का गणेश मंदिर। इस मंदिर में भगवान गणेश की 6 फीट ऊँची और 4 फिट चौड़ी नटराज की चित्ताकर्षक मुद्रा मूर्ति स्थापित है। यहाँ श्रद्धालु बप्पा के दर्शन के लिए दूर दूर से आते हैं और कुछ भक्त पैदल भी मनोकामना पूरी करने के लिए आते हैं।  गणेशोत्सव के पावन अवसर पर पूरे मंदिर को बहुत ही ख़ूबसूरत ढंग से सज़ा दिया जाता है। बात करें इस मंदिर की बनावट की तो इसे भरतपुर बयाना के लाल पत्थरों के द्वारा निर्माण कराया गया है। वर्ष 2019 में गणेश भगवान के इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। यह मंदिर गुजरात के अंबाजी के बाद दूसरा मंदिर है जहाँ 281 स्वर्ण शिखर स्थापित है। इस मंदिर को आमलिया दादा गणेश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, कहा जाता है कि यह प्राचीन मंदिर पहले एक इमली के वृक्ष के नीचे स्थापित था। आमलिया दादा के पूजन एवं दर्शन के लिए हर बुधवार व चतुर्थी तथा गणेश चतुर्थी अनंत चतुर्थी पर भक्त हजारों की संख्या में यहाँ आते हैं। अनंत चतुर्थी पर यहाँ मेला भी लगता है जिसमें बाल गणेश की प्रतिमा को झूला झुलाया जाता है।  इस मंदिर में गणेश भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है जिसमें स्थापित मूर्ति को चाँदी के वर्क से श्रृंगार किया जाता है। यहाँ महायज्ञ निरंतर होता है जिसके वजह से मोदक का सहस्त्र आवर्तन होते रहता है। दूध, दही, गन्ने का रस,गंगाजल आदि से अभिषेक किया जाता है।