हिन्दु पञ्चांग में अमावस्या का दिन वो दिन होता है जिस दिन चंद्रमा को नहीं देखा जा सकता। अमावस्या को हिन्दु शास्त्रों में काफी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इसके अनुसार अमावस्या को पितरों का दिन भी माना जाता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भाद्रपद अमावस्या या भादो अमावस्या कहा जाता है। इस अमावस्या को पिथौरा अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो हर माह में अमावस्या तिथि पड़ती है लेकिन इस अमावस्या का अपना अलग ही महत्व है। हिंदू धर्म में अमावस्या को विशेष महत्व दिया गया है। बन रहा है एक ख़ास संयोग इस बार भाद्रपद अमावस्या को शनि अमावस्या कहा जा रहा है, क्योंकि यह अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भादो मास में शनि अमावस्या का होना काफी दुर्लभ माना जाता रहा है, क्योंकि ऐसा संयोग 2008 में बना था। 14 साल पहले 30 अगस्त 2008 को भादो मास में शनि अमावस्या का योग बना था। इसलिए ऐसे दुर्लभ संयोग में भगवान शनि की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है। यह अमावस्या 27 अगस्त दिन शनिवार को मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद माह में श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है। कहा जाता है कि भाद्रपद अमवास्या के दिन नदी में स्नान, दान और श्राद्ध करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस अमावस्या के दिन धार्मिक रूप से कुशा (घास) को इकट्ठा कर, साल भर धार्मिक कार्यों में उसका प्रयोग करने की भी परंपरा है। इसलिए इस अमावस्या को कुशा गृहिणी अमावस्या भी कहते हैं। कब है भाद्रपद अमावस्या? भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 26 अगस्त दिन शुक्रावर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी शनिवार, 27 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 46 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि होने के कारण भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी। पूजन विधि भाद्रपद अमावस्या के दिन दान, धर्म और श्राद्ध के कार्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन प्रात: काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। बहते हुए जल में तिल प्रावाहित करें। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा के तट पर पिंडदान करें। इसके बाद किसी गरीब इंसान को अपनी श्रद्धा अनुसार दान-दक्षिणा दें। अगर आपकी कुंडली में कालसर्प योग है तो इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें और पितरों की शांति के लिए प्रार्थना करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके घर में सुख, शांति और समृद्धि रहेगी। इस बार की भाद्रपद अमावस्या को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है और अगर श्रद्धालु सच्चे मन से इस दिन दानपुण्य करते हैं, तो उन्हें, उनके जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है।
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