श्रीनगर (उत्तराखंड): जो सौम्य भी है, और प्रलय भी, जो अन्नपूर्णा है, तो रौद्र भी, जो शीतल है, तो जवाला भी। अलकनंदा पर निवास करने वाली उत्तराखंड के श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा चमत्कारी धारी देवी मंदिर स्थित है। इसे उत्तराखंड की पालकी देवी के रूप में माना जाता है। इस मंदिर में देवी की मूर्ति का सिर्फ ऊपरी भाग "सिर" स्थित है, एवं निचला भाग कालीमठ में स्थित माँ मैठाणा नाम से प्रसिद्ध है।
बता दें, यह मंदिर डैम के बीच में स्थित है और चारों और से पर्वत घटियों से घिरा एक मनोहर स्थान पर बसा है, यहाँ माता की मूर्ति दिन मे तीन बार अपना रूप बदलती है। जी हाँ उत्तराखंड मे सबसे जागृत माँ धारी देवी, अलकनंदा की धारा के बीच स्थित एक ऐसा ही दिव्य मंदिर है जिसे चारों धामों का संरक्षक कहा जाता है। कहा जाता है कि माँ धारी देवी पर चार धामों के रक्षा की ज़िम्मेदारी है। बता दे यह इतना दिव्य स्थान है जिसमें माँ गंगा और माँ धारी देवी का मिलन होता है
माँ धारी देवी हिंदुओं का एक सिद्धपीठ है। पुजारियों के अनुसार मंदिर में माँ काली की प्रतिमा द्वापरयुग से ही स्थापित है। कहा जाता है कि कालीमठ एवं कलिसियमठों में माँ काली की प्रतिमा क्रोध मुद्रा में है और धारी देवी मंदिर में माँ काली की प्रतिमा शांत मुद्रा में है
बता दे 18वीं सदी में धारी देवी के मंदिर के साथ छेड़खानी की गई थी तो प्रलय की एक बहुत बड़ी तबाही उस समय भी देखने को मिली थी ऐसा कहा जाता है श्रीनगर जैसी संकरी जगह को भी इस प्रलय ने उजाड़कर मैदानी रूप दे दिया था। केदारनाथ आपदा के दिन फिर दोबारा से धारी देवी की मूर्ति को उखाड़कर जैसे ही एक और बार छेड़खानी करने की कोशिश की गई तो प्रलय का एक और तांडव देखने को मिला था