पटना: बिहार की राजधानी पटना में महाराष्ट्र मंडल की ओर से गणेश चतुर्थी का आयोजन किया जा रहा। यह आयोजन कोरोना महामारी की वजह से दो साल बाद किया जा रहा है। पटना में महाराष्ट्र मंडल की ओर से सात दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा। गणेश भगवान की प्रतिमा जो मुंबई से लाई गई है उसकी आकृति मुंबई स्थित लालबाग के राजा जैसी है। आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की पूजा आरम्भ कर दिया गया है।
आपको बता दें कि गणपति की प्रतिमा लगभग 5.30 फीट की है जिस पर हीरा से जड़ित सोने का मुकुट पहनाया जाता है। यह मुकुट इस बार का ख़ास आकर्षण का केंद्र होगा। महाराष्ट्र मंडल की ओर से इस बार पटना में 52वां गणपति उत्सव आयोजित किया जा रहा है। महाराष्ट्र मंडल के सचिव ने बताया कि मनाए जा रहे इस साथ दिन के उत्सव में कई कार्यक्रम भी होंगे। भगवान गणेश के भोग के लिए ख़ास तौर पर लखनऊ से मोदक मँगवाया गया है।
भगवान गणेश की प्रतिमा जो स्थापित की जा रही है उसको ख़ास मुंबई के शाडू मिट्टी से बनाया गया है। महाराष्ट्र मंडल के सचिव ने बताया की इस मूर्ति का निर्माण मुंबई के बंद्रा इलाक़े के मूर्तिकार ने बनाया है। बनाई गई मूर्ति की एक ख़ासियत है कि यह प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की तरह मज़बूत है। शाडू मिट्टी से निर्मित मूर्ति जल्दी टूटती नहीं है। इस मिट्टी से निर्मित मूर्ति समान्य मिट्टी की तरह ही गल जाता है और किसी तरह की कोई मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ता।
महराष्ट्र मंडल के द्वारा आयोजित किए जा रहे इस उत्सव की कुछ ख़ासियत भी है जिसके पात्र बनने दूर दूर से लोग पटना आते हैं। प्रतिदिन भगवान गणेश की सुबह 9 पूजा आरम्भ हो जाएगी। इस बार गेस्ट के लिए पंडाल में विशेष पगड़ी का इंतेजाम किया गया है। यह पगड़ी पहनाने को महाराष्ट्र से मचिंद्र कुनसे आ रहे हैं। बता दें की भगवान गणेश की आरती और प्रसाद का वितरण आज से 6 सितम्बर तक हर दिन होगा।
5 सितंबर को विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम में मुंबई से कलाकार आ रहे जिनके द्वारा भगवान गणेश जी के भजन गीतों की प्रस्तुति की जाएगी। 6 सितंबर को दोपहर में भोग लगाने के बाद महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा। पटना में इस बार महाराष्ट्र की झलकी भी दिखेगी। इस दौरान महाराष्ट्र से आए कलाकारों द्वारा ट्रेडिशनल नृत्य भी किया जाएगा साथ ही महाराष्ट्र की परम्परा को भी दिखाया जाएगा।