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क्या है उज्जैन के बड़ा गणेश मंदिर का इतिहास?

उज्जैन: विघ्न हरता, लम्बोदर, गणपति ऐसे ही अनेकों नाम से जाने वाले भगवान गणेश जो देवताओं में प्रथम पूज्य हैं और हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश जी का ही आह्वाहन किया जाता है। यूँ तो गणपति के भारत वर्ष में कई मंदिर हैं और ऐसा ही एक मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित है। जहाँ गणेश जी की विशाल प्रतिमा है और इसी विशाल प्रतिमा के कारण इस मंदिर को बड़ा गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

महादेव की नगरी अवंतिका यानि उज्जैन... शिप्रा नदी के किनारे बसी इस नगरी को सदियों से महाकाल की नगरी के तौर पर जाना जाता है। यहीं पर कुछ दुरी पर स्थित अपने पिता महाकाल के साथ इसी नगर में विराजमान है भगवान गणेश…. उज्जैन भारतीय समय की गणना के लिए केंद्रीय बिंदु माना जाता है और भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूज्य देवता का पद भगवान शिव की कृपा से प्राप्त है… समय के देवता, शिव अपने सभी वैभव के साथ उज्जैन में शाश्वत शासन करते हैं, तो वहीँ वैभव, सुख, समृद्धित और बुद्धि के दाता अपनी पत्नी रिद्धि और सिद्धि के साथ उज्जैन में बड़ा गणेश मंदिर में विराजमान हैं।

भारत देश में गणपत‍ि बप्‍पा के कई पौराणिक मंदिर हैं और उन्‍हीं में से एक है यह मंद‍िर, जिसको बड़ा गणेश मंदिर के नाम से जानते हैं। गणेश भगवान के इस मंदिर की सबसे खास बात यह है क‍ि यहां पर स्‍थाप‍ित गणेश जी की मूर्ति व‍िश्‍व की ऊंची गणेश प्रत‍िमाओं में से एक मानी जाती है इस प्रत‍िमा के आकार का, विशाल होने के कारण ही इसे बड़ा गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है, साथ ही यह मूर्ति सीमेंट से नहीं बल्कि मसालों से बनी हुई है। बप्पा की इस मूर्ति को बनाने में ईंट, चुना, बालू, रेत, गुड़ और मेथी दानों का प्रयोग क‍िया गया है।  साथ ही सभी पवित्र नदियों के तीर्थ स्थलों का जल भी मिलाया गया। इसके अलावा सात मोक्षपुरियों मथुरा, द्वारिका, अयोध्या, कांची, उज्जैन, काशी और हरिद्वार से लाई हुई मिट्टी भी भगवान गणेश की प्रतिमा को बनाने में मिलाई गई है। सभी पव‍ित्र तीर्थ स्‍थलों के जल और मोक्षपुर‍ियों की मिट्टी के चलते इस स्‍थान को और भी अध‍िक महत्‍वपूर्ण माना गया है। गणपति की इस मूर्ति को बनाने में ढाई वर्ष का समय लगा था। मंदिर में स्‍थापित गणेशजी की प्रतिमा लगभग 18 फीट ऊंची और 10 फीट चौड़ी है। मूर्ति में भगवान गणेश की सूंड दक्षिणावर्ती है। प्रतिमा के मस्तक पर त्रिशूल और स्वास्तिक बना हुआ है। दाहिनी ओर घूमी हुई सूंड में एक लड्डू दबा हुआ है। भगवान गणेशजी के कान व‍िशाल हैं और गले में पुष्प माला है। दोनों ऊपरी हाथ जप मुद्रा में और नीचे के दाएं हाथ में माला व बाएं में लड्डू का थाल है और गणेश भगवान के दोनों तरफ उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि हैं। बड़ा गणेश मंदिर भक्तों के लिए एक पावन धाम है जहाँ पर आकर वह अपनी सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। इस मंदिर में सप्तधातु की पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में नवग्रह मंदिर भी बना हुआ है। बडे गणेश जी की प्रतिमा को दूर से भी देखा जा सकता है। इस मंदिर में स्थापित गणेश भगवान की विशालता से प्रभावित हो कर लोग देश भर से यहाँ मूर्ति को देखने के लिए आते हैं। गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, विनायक चतुर्थी और तिल चौथ के पावन पर्व पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। बडे गणेश जी के दर्शन करके सभी चिंताओं का हरण होता है तथा सुख समृद्धि प्राप्त होती है।