प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में संगम किनारे स्थित लेटे हनुमान जी का मंदिर एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए आज से खुल गया। आज शाम 4 बजे से हनुमान जी का पट दर्शन और पूजा के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। हनुमान जी को महास्नान करवाने के बाद और विश्राम के बाद मां गंगा वापस लौट गई हैं।
जन्माष्टमी के अवसर पर ही माँ गंगा ने हनुमान जी के गर्भ गृह तक प्रवेश की थी और उसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगा का जल से भगवान हनुमान जी का स्नान हुआ। जन्माष्टमी के बाद से ही मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थें। 18 अगस्त को बंद हुए कपाट को 16 दिन बाद आज खोला गया है।
गंगा के जल में कमी आने की वजह से शुक्रवार को हनुमान मंदिर परिसर की साफ़ सफ़ाई करी गई और पानियों को पूरी तरह बाहर निकला गया। हालाँकि शुद्धीकरण के लिए गंगा जल का ही इस्तेमाल किया जाता है और मंदिर को शुद्ध करने के लिए किसी और चीज़ की जरूरत नहीं होती। लेकिन फिर भी पानी के साथ आए बालू, गाद आदि और सफ़ाई करने के दौरान लोगों द्वारा पैरों से जो धूल कण आए है उसकी वजह से ही शुद्धीकरण किया गया। शुद्धीकरण के बाद हनुमान जी का विशेष स्नान करवाया गया। स्नान के बाद पंचामृत से अभिषेक और फिर आख़िर में उनका श्रृंगार किया गया। श्रृंगार के बाद हनुमान जी के दर्शन को मंदिर के पट को खोल दिया गया।
संगम से केवल 800 मीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर पूरे विश्व का एकमात्र मंदिर है जहाँ हनुमान जी के लेते हुए स्वरूप की प्रतिमा है। मान्यताओं के अनुसार लंका पर विजय के बाद जब सारे लोग अयोध्या वापस लौटकर आ गए तब हनुमान जी बहुत थके हुए थें। उनको विश्राम करने के लिए माता सीता ने बोला। माता सीता ने ही भगवान हनुमान को इस निरजन और पावन स्थान पर विश्राम करने के लिए भेजा था। तब से ही भवगान हनुमान की वह प्रतिमा लेते हुए रूप में है। इस मंदिर को बड़े हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है।