हिंदू पंचांग की चौदहवीं तिथि को चतुर्दशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। एक बार पूर्णिमा और एक बार अमावस्या के बाद। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। अनंत चुतर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है और पूजा के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। साथ ही इसी दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है। भक्त धूम-धाम से नाचते गाते हुए गणपति बप्पा को 10 दिन के बाद इस दिन विदा कर देते हैं। इस दौरान माहौल भक्ति रस से सराबोर रहता है और गणपति बप्पा मोरया की ध्वनि से गूंज उठता है।
अनंत चतुर्दशी का व्रत 9 सितंबर 2022, दिन शुक्रवार को है। यह व्रत हर वर्ष, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होता है। कहते हैं कि इस दिन की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी।
अनंत चतुर्दशी की महिमा मान्यता है कि इस व्रत को 14 सालों तक लगातार करने पर विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। इस व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है। व्रत के पारायण में मीठी चीजें, जैसे सेवई या खीर खाने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करने से जीवन की तमाम विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। बंधन का प्रतीक सूत्र (अनंत सूत्र) हाथ में बाँधा जाता है तथा व्रत के पारायण के समय इसको खोल दिया जाता है।कहते हैं कि जो लोग अनंत सूत्र को अपनी कलाई पर बांधते हैं, उन्हें सौभाग्य एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 9 सिंतबर 2022 को सुबह 6 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। यानी पूजा के लिए पूरे 11 घंटे और 42 मिनट का समय होगा। वहीं, अगर चतुर्दशी तिथि की बात की जाए तो वह 8 सितंबर को सुबह 9 बजकर 2 मिनट से शुरू होगी और 9 सितंबर को शाम 9 बजकर 7 मिनट तक रहेगी।
14 गांठें भगवान श्री हरि के 14 लोकों का प्रतीक
इस व्रत में सूत या रेशम के धागे को कुमकुम से रंगकर उसमें चौदह गांठें लगाई जाती हैं। इसके बाद उसे विधि-विधान से पूजा के बाद कलाई पर बांधा जाता है। कलाई पर बांधे गए इस धागे को ही अनंत सूत्र कहा जाता है। भगवान विष्णु का रूप माने जाने वाले इस धागे को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। ये 14 गांठें, भगवान श्री हरि के 14 लोकों का प्रतीक मानी गई हैं। यह अनंत धागा, भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला और अनंत फल देने वाला माना जाता है।
अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का विसर्जन करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और साथ ही व्यक्ति का जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है।
हिन्दू धर्म में अनंत चतुर्दशी का बहुत महत्व माना गया है। कहा जाता है कि जब पाण्डव, धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्त सूत्र धारण किया। अनन्त चतुर्दशी व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए। इसीलिए माना जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक अनंत चतुर्दशी का व्रत करता है, वह सारे संकटों से मुक्ति पा लेता है।