श्राद्ध, हिन्दू धर्म में किया जाने वाला एक कर्म है, जो पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता अभिव्यक्त करने तथा उन्हें याद करने के निमित्त किया जाता है। मान्यता है कि पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म अवश्य किया जाना चाहिए। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे अपना आशीर्वाद सदा आप पर बनाये रखते हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र अनिवार्यता मानी गई है। अपने पूर्वजों की मृत्यु के उपरांत लोग उन्हें विस्मृत न कर दें, इसलिए उनका श्राद्ध करने का विशेष विधान बताया गया है। भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विनी कृष्ण पक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृ पक्ष कहते हैं, जिसमें हम अपने पूर्वजों की सेवा करने का विधान है।
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व माना गया है। पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं। जिससे पितर खुश होकर अपनी संतान को आशीर्वाद प्रदान करते हैं और घर-परिवार में धन-दौलत, सुख-सुविधा, मान-सम्मान और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। हिंदू धर्म में मृत व्यक्ति का श्राद्ध करना जरूरी होता है। माना जाता है कि यदि श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है।
इस साल पितृ पक्ष आज यानी कि 10 सितंबर 2022 को शुरू हो रहा है, जो 25 सितंबर तक रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होकर अश्विन मास की अमावस्या तक रहता है।
पितरों का तर्पण करने का तात्पर्य, उन्हें जल देने से है। इसके लिए प्रतिदिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर, तर्पण की सामग्री लेकर, दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब सबसे पहले अपने हाथ में कुश, जल, अक्षत, पुष्प और तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर अपने पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें।
इस दौरान ‘ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’ का जप करें। हाथ में ली हुई सामग्री को पितरों का नाम लेते हुए धरती पर गिरा दें। इसी तरह 5, 7 या 11 बार अंजली दें। अब अपने पितरों से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना करें। जिस तिथि को आपके पितरों की मृत्यु हुई हो, उस तिथि को उनके नाम से अपनी श्रद्धा और यथाशक्ति के अनुसार, ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। भोजन, कौओं और कुत्तों को भी खिलाएं।
श्राद्ध की पूजा सामग्री –
पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण और उनका श्राद्ध करने के लिए रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता, पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी का दीया, रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना आदि की जरूरत होती है।
कहते हैं कि पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए उन्हें प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद पाने के लिए पितृ पक्ष के दिनों में विधि-विधान के साथ उनका तर्पण अवश्य करना चाहिए। याद रखें कि श्राद्ध एक अवसर होता है, अपने पूर्वजों के साथ एक अटूट रिश्ता बनाये रखने का। और इस अवसर को अपना कर्त्तव्य समझकर श्रद्धापूर्वक निभाने से आप अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।