काशी: भारत में दीपावली का पर्व सबसे लोकप्रिय पर्वों में से एक है जिसे पूरे देश में सभी लोग हर्षोउल्लास के साथ मनाते है। बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी यूं तो साल के 12 महीने तीर्थयात्रियों, सैलानियों से गुलजार रहती है। लेकिन देशी-विदेशी पर्यटकों को कार्तिक पूर्णिमा का विशेष रूप से इंतजार रहता है क्योंकि देव दीपावली के दिन असंख्य दीपकों की रोशनी से नहाए हुए काशी के घाट आसमान में टिमटिमाते तारों से नजर आते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा की शाम जब लाखों दिए काशी की उत्तरवाहिनी गंगा किनारे एक साथ जलते हैं, तो रोशनी से सराबोर गंगा के घाट के घाट देवलोक के समान प्रतीत होते हैं। काशी में गंगा किनारे इसी अनुपम छटा को देखने और अपने कैमरे में कैद करने के लिए लोग दुनिया के कोने-कोने से यहां पहुंचते हैं।
जानकारी के लिए बता दे काशी में इस साल सात नवंबर को देव दिवाली उत्सव मनाया जायेगा। इस बात का निर्णय परिषद् के ज्योतिष प्रकोष्ठ की बैठक में लिया गया। दरअसल इस बैठक में कार्तिक पूर्णिमा तिथि में चंद्रग्रहण की स्थिति में देव दिवाली उत्सव को मनाने पर विचार विमर्श किया गया है। विद्वानो का कहना है कि कार्तिक पूर्णिमा सात नवंबर को दोपहर 3:58 से आरंभ होकर आठ नवंबर की शाम 3:53 बजे तक है।
आठ नवंबर को शाम तक चंद्रग्रहण और उसके बाद गंगा के घाटों पर स्नानार्थियों की भीड़ को देखते हुए देव दीपावली आयोजन से जुड़ी संस्थाएं व समितियां पहले ही यानी सात नवंबर को देवदीपावली मनाने का निर्णय लिया हैं। तय किए गए तारीख़ की जानकारी पुलिस व जिला प्रशासन को भी बता दी गई है। चंद्रग्रहण के बाद स्नान को आने वाली भीड़ को किसी प्रकार की घट पर परेशानी का सामना ना करना पड़े इसको लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा तैयारियाँ की जा रही है।