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मध्य प्रदेश में तैयार हुआ महाकाल मंदिर के तर्ज पर मंदिर, पुष्य नक्षत्र में हुआ निर्माण

सागर: मध्य प्रदेश के सागर से 25 किलोमीटर दूर ग्राम खैजरा में उज्जैन महाकाल मंदिर के तर्ज पर मंदिर का निर्माण किया गया है. निर्मित किये गए इस मंदिर की खासियत यह है कि भगवान का गर्भगृह उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के गर्भगृह से हूबहू मिलता है. इस मंदिर को बुंदेलखंड के महाकाल मंदिर के नाम से जाना जाता है.  मंदिर में बाबा के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को जरा भी आभास नहीं होता की वे उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में नहीं है. आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण 108 पुष्य नक्षत्र में किया गया है. जानकारी के लिए बता दें कि शास्त्रों के अनुसार आकाश मंडल में 27 नक्षत्र होते है जिसमे पुष्य नक्षत्र सबसे शुभ माना जाता है. बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर के पुजारी द्वारा बताया गया है कि यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जिसका निर्माण पुष्य नक्षत्र पर हुआ है. 


इस मंदिर को बनाने वक्त ख़ासा ध्यान रखा गया है जिससे इसको उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर से सामानांतर रखा जाए. इस मंदिर के ऊपर में नागचंद्रेश्वर मंदिर का भी निर्माण किया जा रहा है जिसे सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खोला जायेगा. इसके अलावा मंदिर में शिवलिंग, प्रवेश द्वार, निकास द्वार, डिजाइन और वास्तुशास्र भी उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह ही बनाया गया है. 


नवनिर्मित महाकाल मंदिर का निर्माण सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही किया गया है. पुष्य नक्षत्र महीने में केवल एक दिन आता है और इस मंदिर का निर्माण उसी एक दिन में ही किया जाता था. आपको बता दें कि इस मंदिर की ऊंचाई 41 फीट है जिसको बनाने में 9 साल का वक्त लगा. मंदिर में स्थापित की गई शिवलिंग को चेन्नई से पत्थर मांगाकर जयपुर में निर्माण कराया गया है. शिवलिंग के निर्माण के वक़्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर की प्रतिकृति का ही हो. बनाए गए शिवलिंग को जयपुर से पुष्य नक्षत्र के दिन ही लाया गया और उसके बाद भगवान की स्थापना की गई. 


11 अक्टूबर यानी आज के दिन उज्जैन में बने महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन किया जाएगा और इस दौरान सागर में बने महाकाल मंदिर में भी विशेष पूजा अर्चना की जाएगी. इस मंदिर में आज सुबह से ही महाकाल का जलाभिषेक किया जा रहा और साथ सुन्दरकांड पाठ का भी आयोजन किया जा रहा है.