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कब है करवा चौथ?  जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिन्दू धर्म, अनेक त्यौहारों एवं तिथियों से संपन्न है। इसमें हर माह, अपने साथ कोई न कोई उत्सव लेकर आता है। हर तिथि का अपना एक महत्व होता है, लेकिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को जो उपवास किया जाता है, उसका सुहागिन स्त्रियों के लिए बहुत अधिक महत्व माना गया है। दरअसल, इस दिन ‘करवा चौथ’ का व्रत किया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं, अपने पति की लंबी आयु और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन कुंवारी कन्याएं भी अच्छा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं।

हर साल यह व्रत, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार करवा चौथ की तिथि को लेकर कई लोग असमंजस में हैं कि इस बार करवा चौथ 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा या फिर 14 अक्टबर को? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह व्रत 13 अक्टूबर को ही रखा जाएगा।

 

करवा चौथ तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर, गुरुवार को रात 1 बजकर 59 मिनट पर शुरु होगा और 14 अक्टूबर को रात 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगा। क्योंकि उदयातिथि 13 अक्टूबर को पड़ रही है, इसलिए यह व्रत 13 अक्टूबर को ही रखा जाना चाहिए।

पूजा का मुहूर्त

शाम – 6 बजकर 17 मिनट से शाम 7 बजकर 31 मिनट तक

अवधि – 1 घंटा 13 मिनट

करवा चौथ व्रत समय – सुबह 6 बजकर 32 मिनट से रात 8 बजकर 48 मिनट तक 

चन्द्रोदय – रात 8 बजकर 48 मिनट पर 

 

करवा चौथ का व्रत, कैसे रखा जाता है?

करवा चौथ का व्रत, सभी व्रतों में कठिन माना गया है। करवा चौथ का व्रत, निर्जला व्रत की श्रेणी में आता है। यानी, इस दिन सुहागिन स्त्रियां पूरे दिन अन्न और जल का त्याग कर, शाम को 16 श्रृंगार करने के बाद, विधि-विधान के साथ भगवान शिव, माता पार्वती,  भगवान गणेश और भगवान कार्तिक की पूजा करती हैं। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं। सुहागिन स्त्रियां, करवा चौथ का व्रत रखकर, अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

चांद को देखने के बाद तोड़ा जाता है व्रत

करवा चौथ का व्रत, रात्रि में चंद्रमा के निकलने के बाद ही तोड़ा जाता है। इस दौरान चंद्रमा को जल चढ़ाया जाता है। करवा चौथ के पूजन के दौरान स्त्रियां, छलनी से पति का चेहरा देखकर, पति के हाथ से भोजन ग्रहण करती हैं। करवा चौथ का व्रत, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान आदि राज्यों में बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।

 

करवा चौथ पूजन विधि

इस दिन शाम के समय, पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान की मूर्ति स्थापि करें। इसके बाद वहां एक मिट्टी का करवा और एक मीठा करवा रखें। फिर व्रत कथा पढ़ें और ध्यान रखें कि इस दिन एक नहीं, दो कथाएं पढ़नी चाहिए। रात को चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें। करवा चौथ के दिन महिलाएं, अपनी सास व अपने से बड़ों को कपड़े व भोजन देती हैं। और ऐसा करना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि ऐसा करना शुभ होता है और बड़ों का आशीर्वाद हमेशा व्रती के साथ बना रहता है।

करवा चौथ के इस पर्व का धार्मिक के साथ-साथ, सामजिक महत्व भी है। क्योंकि इस पर्व में महिलाएं, एक समूह में कथा सुनती हैं और साथ ही इस त्यौहार से जुड़े अन्य रीति-रिवाज़ों को निभाती हैं। यहाँ तक कि, रात में चन्द्रमा के निकलने की प्रतीक्षा भी साथ मिलकर करती हैं। इस त्यौहार से भक्तिभाव की वृद्धि तो होता ही है, साथ ही साथ, दम्पति के, एक-दूसरे के प्रति, प्रेमभाव में भी वृद्धि होती है।