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एक मंदिर जो सिर्फ दीपावली के दिन ही खुलता है, लेकिन चढ़ाए हुए फूल रहते हैं ताज़ा...

एक मंदिर जो सिर्फ दीपावली के दिन ही खुलता है, लेकिन चढ़ाए हुए फूल रहते हैं ताज़ा...

बंगलुरु: भारत पूरी दुनिया में अपनी चमत्कारिक प्रवृति और रहस्यों के लिए मशहूर है। भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जिसके बारे में सुनकर आप भी आश्चर्यचकित हो जाएंगे। इसी क्रम में कर्नाटक में स्थित हसनंबा मंदिर, ऐसा मंदिर है जो साल में एक दिन ही दीपावली के मौके पर खुलता है। बंगलुरु से करीब 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर हसन में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था जो मां अम्बा को समर्पित है। दरअसल हसन शहर का नाम भी देवी हसनंबा से लिया गया है, जिसको हसन के पीठासीन देवता के रूप में पूजा जाता है। इस शहर को पहले सिंहमासनपुरी के नाम से जाना जाता था।

 

हसनंबा मंदिर का चमत्कार

ये मंदिर साल में सिर्फ सात दिन के लिए दीपावली के दिन खुलता है, इसके लिए तो ये मशहूर है ही लेकिन एक और वजह है, जो इस मंदिर को बेहद खास और चमत्कारी बनाता है। तो आइए आपको बताते हैं इस मंदिर के चमत्कार के बारे में। कहा जाता है कि माता हसनंबा ने अपनी भक्त को प्रताड़ित करने वाली सास को पत्थर में बदल दिया था। इसके अलावा हसनंबा के गहने चुराने की कोशिश करने वाले चार लुटेरों को भी पत्थर में बदल दिया था। उन चारों लुटेरों की पत्थर अभी भी कलप्पा गुड़ी में पाए जाते हैं और यहां के लोग ये भी कहते हैं कि यह पत्थर हर साल एक इंच हिलता है। कहा जाता है कि यह पत्थर हसनंबा के चरण कमलों तक जब पहुँच जाएगा उस दिन कलयुग की समाप्ति हो जाएगी।

मंदिर से जुड़ी एक और रोचक बात भक्तों को आश्चर्यचकित करती है कि मंदिर के कपाट दिवाली वाले दिन से केवल 7 दिनों के लिए खुलता है और बालीपद्यमी के उत्सव के तीन दिन बाद बंद हो जाते है। पट खुलने के बाद यहाँ बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन खास बात तो ये है कि जब इस मंदिर के पट को बंद किया जाता है, तब यहाँ घी के दीये के साथ गर्भगृह में फूलों और पके हुए चावल के प्रसाद को रखा जाता है। लेकिन जब एक साल के बाद इस मंदिर के कपाट खुलते हैं तो वो दीया जलता रहता है और भक्तों द्वारा देवी को चढ़ाए गए फूल भी ताजे रहते हैं। इतना ही नहीं, पके चावल का जो प्रसाद चढ़ाया जाता है वो भी अगले साल तक जस का तस बना रहता है।