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बोधगया के महाबोधि मंदिर में नंगे पांव घूमना अब नहीं होगा जरूरी, जानें वजह...

बोधगया: जो भी पर्यटक महाबोधि मंदिर घुमने के लिए पहुंच रहे हैं उन्हें अब नंगे पांव घुमने की जरुरत नहीं है। क्योंकि महाबोधि मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए लोकल मेड जूट के चप्पल की व्यवस्था की है, जिसे पहन कर लोग पूरे मंदिर परिसर के साथ साथ गर्भ गृह में घुम सकते हैं। इससे पहले महाबोधि मंदिर के मुख्य द्वार पर ही चमड़े के जूते और चप्पल को उतरवा लिए जाते थे और फिर परिसर में श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता था। इसकी वजह से सर्दी के मौसम में पर्यटकों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता था।

आपको बता दें कि जीविका परियोजना के तहत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिहार के अलग अलग जिले में लाखों स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। ऐसा लोकल प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। इस परियोजना के तहत गया जिले के बोधगया प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत रतिबीघा गाँव में एक दर्जन महिलाओं को जूट के प्रोडक्ट्स बनाने के लिए प्रशिक्षण दिए गए हैं। अब इस प्रखंड की महिलाओं द्वारा जूट के चप्पल बनाए जा रहे हैं और वो इस कारण से आत्मनिर्भर भी बन रही हैं।

इस गाँव की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे इन जूट के चप्पलों की डिमांड बोधगया तक ही सीमित नहीं है बल्कि इन जूट के चप्पलों का डिमांड भारत के कई हिस्सों से आ रही है। लेकिन इन चप्पलों की डिमांड सबसे ज्यादा महाबोधि मंदिर से दी गई है। मंदिर कमिटी द्वारा 250 चप्पलों के ऑर्डर दिए गए हैं। वहीं दूसरी तरफ इस कारोबार को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं द्वारा जगह जगह पर स्टॉल लगाकर प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है।

(आशुतोष कुमार)