वृन्दावन: 28 नवंबर को ठाकुर बांके बिहारी जी का प्राकट्योत्सव बड़े ही धूम धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाने के तैयारी चल रही है। इस मौके पर ठाकुर जी की प्राकट्यस्थली निधिवन राज मंदिर से लेकर बांके बिहारी मंदिर तक हर ओर उल्लास दिखाई देने वाला है। इस दिन सुबह में प्राक्टयस्थली के महाभिषेक के बाद चांदी के रथ में सवार हो कर संगीत सम्राट स्वामी हरिदास बांकेबिहारी जी को जन्मोत्सव की बधाई देने शोभायात्रा के रूप में निधिवन राज मंदिर से ठा. बांकेबिहारी मंदिर के लिए रवाना होंगे। इस शोभायात्रा में देशभर से आए श्रद्धालु हिस्सा लेंगे।
बांकेबिहारी का प्राकट्योत्सव 28 नवंबर को बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाएगा। बांके बिहारी जी के प्रकट होने के पीछे एक बड़ी ही रोचक कहानी है। मान्यता है कि स्वामी हरिदास जी की साधना से प्रसन्न होकर वृंदावन स्थित निधिवन में विक्रम संवत 1563 की मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को ठा. बांकेबिहारी जी प्रकट हुए थे। इसी के उपलक्ष्य में बांके बिहारी जी का प्राकच्य दिवस मनाया जाता है। जहां बांकेबिहारी जी प्रकट हुए थे, आज यहां निधिवन राज मंदिर है। यहां ठा. बांकेबिहारी की प्राकट्यस्थली आज भी मौजूद है। इसी दिन को ब्रज में बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है। स्वामी हरिदास निधिवन के कुंजों में प्रतिदिन नित्य रास और नित्य विहार का दर्शन करते थे। अत्यंत सुंदर पद गाया करते थे। स्वामी हरिदास को राधारानी की सखी ललिता सखी का अवतार बताया जाता है।
प्राकट्योत्सव पर निकलने वाली बधाई यात्रा में प्रतीकात्मक तौर पर स्वामी हरिदास निधिवन राज मंदिर से चांदी के डोले में बैठ शोभायात्रा के साथ बधाई देने बांकेबिहारी मंदिर जाएंगे। करीब डेढ़ सौ साल से इसी तरह बधाई यात्रा निकलती आ रही है। निधिवन राज मंदिर के सेवायत भिक्की गोस्वामी ने बताया कि उत्सव परंपरागत तरीके से मनाया जाएगा। निधिवन राज मंदिर में सुबह पांच बजे ठाकुरजी की प्राकट्यस्थली का पंचगव्य से महाभिषेक होगा, इसके बाद आरती उतारी जाएगी। मंदिर में बधाई गायन के बाद शोभायात्रा निकलेगी। शोभायात्रा में नागपुर समेत देश के विभिन्न शहरों के नामचीन बैंड, विभिन्न झांकियां शामिल होंगी।