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घर में किस धातु का शिवलिंग रखें ?

समस्त ब्रह्माण्ड में सिर्फ शिव ही हैं जिनकी लिंग रूप में आराधना की जाती है। बड़े से बड़े मंदिरों और घरों में आपको शिवलिंग मिल ही जाएगा क्योंकि शिवमहापुराण में खुद भगवान शिव ने विष्णु जी और ब्रह्मा जी को शिवलिंग पूजा का पूरा विधान और लाभ बताया है।

 

देवताओं में अगर सबसे दयालु किसी को माना गया है तो वो भगवान शिव ही है। भगवान शिव तो इतने भोले हैं कि जो भी भक्त उन्हें सच्चे मन से पुकारता है, वो उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं। यही कारण है कि शिवभक्त भोलेनाथ की नियमित पूजा करने के लिए शिवलिंग को घर में स्थापित करते हैं पर अक्सर जाने-अनजाने लोगों से गलतियां हो जाती है और वो ऐसी धातु का शिवलिंग घर में रख लेते हैं जो शास्त्रोक्त नहीं है। 

 

घर में शिवलिंग स्थापित करते समय सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि, इसका आकार हाथ के अंगूठे जितना बड़ा हो और उससे बड़े शिवलिंग घर में नहीं रखने चाहिए। ये भी ध्यान रहे कि कभी दो शिवलिंग न रखें। कहा तो ये भी जाता है कि शिवलिंग के साथ भगवान गणेश, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और नंदी की भी छोटी मूर्ति रखनी चाहिए।

 

हाथ में जल लेकर हर शिवभक्त घर से निकल पड़ता है अपने भोले को प्रसन्न करने के लिए लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर पर अलग अलग धातु से बने शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भी विशेष फलों की प्राप्ति होती है। जैसे सबसे पहले बात करें पारद शिवलिंग की।

 

इस शिवलिंग को बेहद शक्तिशाली और चमकीला शिवलिंग माना जाता है। इसे आप अपने घर में रख सकते हैं और पूजा कर सकते हैं। पारद शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में उन्नति, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शिव कृपा से व्यक्ति का दुर्भाग्य भाग्य में बदल सकता है।

 

अब बात करें स्फटिक के शिवलिंग की तो इसकी भी आप पूजा कर सकते हैं। इसे निर्गुण ब्रह्म का प्रतीक माना जाता है। इसकी पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

 

कुछ लोग क्रिस्टल से बने शिवलिंग की भी आराधना करते हैं। घर पर क्रिस्टल से बने शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं और वह अपने जिन गुणों को विकसित करना चाहता है, उसमें उसे सफलता प्राप्त होती है।

 

लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादा महत्व नर्मदेश्वर शिवलिंग को दिया गया है। जिसे आप घर में भी स्थापित कर सकते है और पुराणों में भी बताया गया है कि इसकी पूजा करने से मनचाहे फलों की प्राप्ति होती है।

 

शिवलिंग को भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि ये अखिल विश्व ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है। शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों ही समाहित बताए गए हैं जो पुरुष और प्रकृति का प्रतीक हैं। शिवलिंग का स्वरूप संयम, ध्यान, तपस्या और आत्मा के प्रतिविंब का प्रतीक होता है। यदि कोई व्यक्ति शिवलिंग की उपासना करता है, तो इसका अर्थ है कि वो अपनी आत्मा के साथ कनेक्ट हो रहा है और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में बढ़ रहा है।