अगर आप साधक हैं तो एक बार आप को कसार देवी मंदिर के दर्शन करने जाना चाहिए और वहां के वातावरण मैं आपको ध्यान ज़रूर करना चाहिए। दिल्ली से उत्तराखंड स्थित अल्मोड़ा की दूरी तकरीवन 350 किलोमीटर है। अल्मोड़ा से कसार गांव की दूरी करीब 8 किलोमीटर है यहीं पर स्थित कसार देवी मंदिर। यह पूरा क्षेत्र कसार पर्वत का उच्च चुम्बकीय क्षेत्र है।धरती पर गुत्वाकर्षण बल सभी जगह एक जैसा नहीं है। नासा ने जब उत्तराखंड के कुमायूं क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में कसार पर्वत पर शोध किया तो पता लगा कि कसार देवी मंदिर के आसपास का पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है. नासा इस जगह की जबरदस्त ऊर्जा को देखकर हैरान रह गया।
नासा के अनुसार, कसार पर्वत के पूरे क्षेत्र में एक विशाल भू-चुबकीय पिंड मौजूद है। इससे इस क्षेत्र में गुरुत्वाकर्षण बल (ग्रेविटी) बाकी जगहों के मुकाबले ज्यादा है। नासा कुछ समय से कसार पर्वत पर वैन एलेन रेडिएशन बेल्ट बनने के कारणों को जानने के लिए शोध कार्य कर रहा है। उत्तराखंड के कसार देवी मंदिर के आसपास के क्षेत्र के अलावा दक्षिण अमेरिका के पेरू में माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग में जबरदस्त समानताएं हैं। इन तीनों जगहों पर चुंबकीय शक्ति का विशेष पुंज है। इस वजह से तीनों ही जगहों पर ध्यान करने से मानसिक शांति महसूस होती है।
क्या है वान एलेन रेडियेशन बेल्ट
अमेरिका के एक मशहूर वैज्ञानिक हुए जेम्स अल्फ्रेड वान एलेन। 7 सितम्बर 1914 को जन्मे वान एलेन यूनिवर्सिटी ऑफ़ आयोवा के अन्तरिक्ष विज्ञान विभाग में काम करते थे। 1958 में उन्होंने अन्तरिक्ष में भेजे गए उपग्रहों एक्स्प्लोरर 1, एक्स्प्लोरर 3 और पायनियर 3 में भेजे गए गीगर-म्यूलर ट्यूब उपकरणों के सर्वेक्षणों की मदद से धरती पर चुम्बकीय पट्टियों की खोज की थी। जेम्स अल्फ्रेड वान एलेन ने अंतरिक्ष अभियानों में वैज्ञानिक शोध के उपकरणों का प्रयोग करने वाले वैज्ञानिकों का नेतृत्व किया था।
वान एलेन द्वारा खोजी गए इन चुम्बकीय पट्टियों को उन्हीं के नाम पर वान एलेन रेडियेशन बेल्ट कहा गया। इन पट्टियों का उद्गम सौर-पवन (सोलर विंड) से निकले ऊर्जा के आवेशित कणों से होता है। इन कणों को धरती की चुम्बकीय शक्ति अपने नज़दीक खींचे रहती है। वैज्ञानिक साक्ष्य हैं कि ये स्थान विशिष्ट शक्तियों से परिपूर्ण होते हैं।
विश्वभर में मशहूर कसारदेवी मंदिर
यह क्षेत्र दुनिया भर में क्रैंक्स रिज के नाम से मशहूर है। यह वानएलेन रेडियेशन बेल्ट कसार पर्वत जिसे कश्यप पर्वत भी कहते हैं पर पाई गयी जिसके ऊपर कसार देवी का पुराना मंदिर बना हुआ है।माना जाता है कि यह मंदिर दूसरी शताब्दी में बनाया गया था। एक अनुमान यह भी है कि ईसा से नौ सौ वर्ष पूर्व पश्चिमी एशिया से आये प्राचीन कासाइट सम्प्रदाय के अनुयायियों ने इस मंदिर की स्थापना की थी। इसी समुदाय के नाम पर कसारदेवी का नाम पड़ा बताया जाता है.
कसारदेवी मंदिर के पास अनेक गुफाएं, शरणस्थालियाँ और आश्रम हैं जहाँ संभवतः ध्यान करने वाले साधक, ज्ञानार्थी और तपस्वी रहा करते होंगे।1890 के दशक में स्वामी विवेकानंद ने भी कसार देवी मंदिर के निकट एक गुफा में ध्यान किया था। कसारदेवी उन्नीस सौ साठ के दशक से पश्चिमी देशों के शोधार्थियों, कलाकारों, दार्शनिकों, गायकों और लेखकों के बीच आश्चर्यजनक रूप से लोकप्रिय होता चला गया। आपको जानकर आश्चर्य होगा यहाँ बीटल्स के गायक भी आकर रुके। मशहूर लेखक डी. एच. लॉरेन्स ने काफी लम्बा अरसा यहाँ बिताया और हिप्पी आन्दोलन के जनक माने जाने वाले टिमोथी लियरी भी इस जगह की ऊर्जा से आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाए।यूरोप के रहने वाले रहस्मयी लेखक अल्फ्रेड सोरेनसन जिन्हें शून्यता बाबा भी बुलाते थे उन्होंने यहाँ 40 वर्ष बिताये। इस इलाके में लंबा समय बिताने वाले विख्यात लोगों की सूची बहुत लम्बी चौड़ी है।