प्रयागराज: कड़ाके की ठंड के बीच आज पौष पूर्णिमा स्नान के साथ माघ मेले की शुरुआत हो गई है। लाखों की संख्यां में श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं कल्पवासी ने भी डेरा जमा लिया है। तकरीबन 8 किलोमीटर के दायरे में तंबुओं का शहर बसाया गया है। एक तरफ जप-तप और ध्यान के कल्पवास की शुरुआत, दूसरी तरफ सिर पर आस्था की गठरी लिए श्रद्धालु संगम की तरफ बढ़ते आ रहे हैं। गंगा किनारे कल्पवास के लिए आ रहे श्रद्धालु अपने साथ रोजमर्रा के सामान के साथ पहुंच रहे हैं। इस बार देश-दुनिया से करीब 6 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यह पर्व 18 फरवरी को महा शिवरात्रि स्नान के साथ संपन्न होगा। वहीं 2025 में लगने वाले महाकुंभ के रिहर्सल के तौर पर इस बार माघ मेले को तैयार किया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक माघ मेले में पहली बार यात्रियों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 500 बेड की डॉरमेट्री तैयार की गई है। इसमें कोई भी सामान्य श्रद्धालु ठहर सकता है। इसे फाइव स्टार सुविधाओं से लैस किया गया है। इस बार माघ मेले में महाकुंभ की तर्ज पर अरैल की ओर टेंट सिटी बसाई गई है। यहां भक्तों को रुकने के लिए पैसे देने होंगे। बता दे कि पूरे मेले को नो प्लास्टिक जोन घोषित किया गया है। केवल कपड़े के और कागज के लिफाफे प्रयोग करने की अनुमति है। शहर से झूंसी साइड जाने के लिए गंगा पर 5 पीपे के पुल (पांटून) बनाए गए हैं। माघ मेले में लोगों की सुविधा के लिए 6 हेल्प डेस्क बनाई गई है।
मेले की सुरक्षा की बात करें तो 20 इंस्पेक्टर, 215 दरोगा, 2000 सिपाही, 10 कंपनी PAC, 4 बाढ़ राहत दल, RAF की 2 कंपनी, 100 गोताखोर लगाए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र में करीब 150 CCTV और 4 ड्रोन कैमरे से निगरानी रखी जा रही है। मेले में 14 फायर स्टेशन बनाए गए हैं। इसके अलावा ATS के कमांडोज को भी मेले की सुरक्षा में तैनात किया गया है।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक़ प्रयाग के माघ मेले में पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी अदृश्य रूप में यहां पर आते हैं, इसलिये देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की पावन धारा में डुबकी लगाकर दान-उपासना दूसरे संस्कारों के जरिये पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।