गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक और चाणक्य की धरती बिहार आपने आप में प्राकृतिक सुंदरता और इतिहास का धनी है। ये भारत का एक ऐसा राज्य है जो इतिहास के पन्नों पर अमर है। देश का इकलौता ऐसा राज्य, जहां उगते और अस्त होते सूर्य की आराधना करता है। बिहार की धरती पर पौराणिक मान्यताओं से जुड़े कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपने आप में धार्मिक मान्यताओं के धनी हैं। तो आइए इन्हीं कुछ प्राचीन मंदिरों के बारे में आज आपको बताते हैं:
महावीर मंदिर, पटना
पटना का महवीर मंदिर यहां के प्राचीन मंदिरों में से एक है। ये प्रसिद्ध मंदिर महाबली हनुमान को समर्पित है। यह मंदिर पटना रेलवे स्टेशन के ठीक पास में स्थित है। ये मंदिर लोक आस्था का तो एक बड़ा केन्द्र है ही, साथ ही यहां हनुमान जी को समर्पित होने वाला नवैद्य भी बेहद खास है। ये पवित्र तो होता ही है साथ ही इसके बारे में कहा जाता है कि ये नवैद्य हमें कई तरह के रोगों से मुक्ति भी दिलाता है। यहां देश के कोन-कोन से लोग आकर हनुमान जी के दर्शन करते हैं। खास तौर से शनिवार और मंगलवार को यहां अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर की खास बात यह भी है कि यहां बजरंग बली की दो मूर्तियां एक साथ विराजमान है।
पटन देवी मंदिर, पटना
बिहार की राजधानी पटना की माता पटन देवी मंदिर का इतिहास सदियों पुराना और रोचक है। इन्हीं देवी के नाम पर शहर का नाम पटना पड़ा, जो बिहार की राजधानी भी है। कहते हैं कि माता पटन देवी ही पटना शहर की रक्षा करती है। यहां माता पटन देवी दो बहनों के स्वरुप में निवास करती है, इसलिए पटन देवी माता के दो मंदिर है। एक बड़ी पटन देवी और दूसरी छोटी पटन देवी। बताया जाता है कि 51 शक्तिपीठों में से एक पटनदेवी मंदिर भी है जहां माता सती का जांघ गिरा था। इस मंदिर के अंदर महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की मूर्तियां भी स्थापित हैं और नवरात्र के दिनों में यहां धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है और श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ पर पहुंचती है।
मिथिला शक्ति पीठ, दरभंगा
दरभंगा को बिहार का दिल भी कहते हैं और यहीं स्थित है मिथिला शक्तिपीठ, जो देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहाँ माता सति का वाम स्कंध यानी बाया कंधा गिरा था। इस मंदिर में देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियां स्थापित हैं, जिसकी पूजा अर्चना के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस मंदिर में नए शादीशुदा जोड़े के दर्शन करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
जानकी मंदिर, सीतामढ़ी
सीतामढ़ी शहर के पुनौरा नामक गांव में भव्य जानकी मंदिर है जिसे माता सीता का जन्म स्थान माना जाता है. पौराणिक खताओं के अनुसार जब मिथिला नगर में भीषण अकाल पड़ा और राज पुरोहित द्वारा राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी गई. तब राजा जनक ने महादेव की और पूजा करने के बाद जब राजा जनक हल चला रहे थे तभी जमीन से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता नवजात शिशु की अवस्था में मिलीं यहां एक जानकी कुंड नाम का सरोवर भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है. यहाँ देश भर से लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं
विष्णु मंदिर, गया
बिहार के गया जिले के फल्गु नदी के किनारे विष्णु मंदिर स्थापित है। इस मंदिर का वर्णन रामायण में भी किया गया है। ये मंदिर अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 100 फीट है इस मंदिर में भगवान् विष्णु के पदचिह्न मौजूद है जिसमें शंकम, चक्रम और गधम सहित नौ प्रतीक चिन्ह बने हैं इसलिए इसे विष्णुपद मंदिर भी कहा जाता है।गया में पितरों के पिंड दान का विशेष महत्त्व है , पितृपक्ष के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है और लोग पितरों के तर्पण के लिए करते है। मान्यता है कि तर्पण के बाद भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से सभी दुखों का नाश होता है ,परिवार में सुख समृद्धि बानी रहती है और पूर्वज पुण्यलोक को प्राप्त करते हैं।
अक्षरा आर्या