भारत मठ मंदिरों का देश है और यहां पर विश्वप्रख्यात मंदिर मौजूद हैं। जिनको देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत प्रसिद्धि हासिल है । ये कहना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा, कि भारत का कौन सा मंदिर सबसे ज्यादा मशहूर है । क्योंकि यहां मौजूद हर मंदिर अपनी अलग ही खासियत रखता है, मंदिर में आने वाली भक्तों की भीड़ मंदिर को और ज्यादा खास बना देती है। ऐसा ही एक मंदिर है मध्य प्रदेश प्रांत के खजुराहों शहर में जहां देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी भारी तादात में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं साथ ही, यहां इस मंदिर की बनावट और इसकी दीवारों पर ऊकेरी गईं मूर्तियों को घंटो बिना पलके झपकाए निहारते हैं। खजुराहो में मौजूद मतंगेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है.... मान्यता है कि मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग की हर साल शरद पूर्णिमा के दिन एक इंच लंबाई बढ़ती है। यहां शिवलिंग 9 फीट जमीन के अंदर और उतना ही बाहर भी है। मान्यता है कि मंदिर में मौजूद इस शिवलिंग की हर साल शरद पूर्णिमा के दिन एक इंच लंबाई बढ़ती है। शिवलिंग का यह अद्भुत चमत्कार देखने के लिए इस दिन लोगों का सैलाब मंदिर में उमड़ता है। वैसे तो यह मंदिर भक्तों से सालभर भरा खुला रहता है, लेकिन सावन माह में यहां श्रद्धालुओं की दर्शन करने के लंबी कतारे लगतीं है। इसके पास ही लक्ष्मण मंदिर स्थित है। लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित यह मंदिर 35 फीट के वर्गाकार दायरे में बना है। इसका गर्भगृह भी वर्गाकार है। मतंगेश्वर मंदिर का निर्माण काल 900 से 925 ईसवी के आसपास का माना जाता है..।
मंदिर की मूर्तियों की नक्काशी है बेमिसाल
इस मंदिर की दीवारों पर बनी सिर्फ 10फीसदी नक्काशी यौन गतिविधियों को दर्शाती हैं। इसके अलावा यहां की 90% नक्काशी उस वक्त के लोगों के जीवन को प्रदर्शित करती है। इस मंदिर में कुम्हारों, संगीतकारों, किसानों और महिलाओं की मूर्तियां भी बनाई गई है । वहीं इन मूर्तियों को लेकर कई इतिहासकारों का कहना है कि, यहां पर कामुकता की सभी कलाओं का अध्यन और अभ्यास किया जाता था । इसके अलावा कुछ इतिहासकारों का कहना है कि, कामसूत्र की कलाकृतियां भी हिन्दू परम्परा का ही एक भाग हैं, और ये मानव शरीर के लिए बहुत ही जरूरी हैं ।
खजुराहो में घूमने की जगहें
ऐसी बात नहीं है कि भक्त यहां मंदिर में सिर्फ पूजा करने आते हैं। मंदिर में कई जगाहें ऐसी हैं जिनको पर्यटक और श्रद्धालु घूमने आते हैं। इनमें से एक नाम आदिनाथ मंदिर का है, आदिनाथ मंदिर खजुराहो में जैन मंदिर से संबंधित एक विशेष मंदिर है, इस मंदिर को एक मीनार वाले शिकारे से सजाया गया है... जिससे इसकी सुंदरता बढ़ जाती है। राज दरबार के संगीतकारों की मुद्राओं की सुंदर नक्काशी मंदिर की दीवारों पर देखी जा सकती है । जैन संग्रहालय जिसको साहू शांति प्रसाद जैन कला संग्रहालय भी कहते हैं, यह प्रदर्शन के लिए 1987 में खोला गया था । संग्रहालय की गोलाकार इमारत देखते ही बनती है....
वहीं बात करें मंदिर के नाम की तो इसका नाम हिंदी शब्द खजूर से लिया गया है। जानकारी के अनुसार ये शहर एक बार सिर्फ खजूर के पेड़ों से ही घिरा हुआ था,इसलिए ही इसका नाम खजुराहो रख दिया गया। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि इसका नाम खजुरा-वाहक से रखा गया है. जो भगवान शिव का एक प्रतीकात्मक नाम है। तो इस तरह से खजुराहो का मंदिर अपने आप में एक मिसाल है जो हर पर्यटक और श्रद्धालु को अपनी ओर आकर्षित करता है... और ऐसी हो भी क्यों न इसकी खूबसूरती लाजवाब जो है....।