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एक ऐसा सूर्य मंदिर जो अपनी अनोखी शिल्प कला का अद्भुत नमूना है, पढ़िए मंदिर की सबसे बड़ी खूबी...

वैसे तो भारत देश में भगवान सूर्य के कई मंदिर मौजूद हैं। सूर्य देव के हर मंदिर में भगवान की मूर्ति विशेष पत्थर या धातु से बने हैं। आज एक ऐसे पुरातन सूर्य मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भगवान सूर्य की मूर्ति किसी धातु या पत्थर से नहीं, बल्कि पेड़ की लकड़ी से बनी है।

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित कटारमल सूर्य मंदिर। भगवान सूर्य को समर्पित भारत का पूर्वामुखी प्राचीन सूर्य मंदिर है। इस मंदिर को बड़ादित्य या आदित्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। कटारमल सूर्य मंदिर का रहस्य ये है की भगवान सूर्य की मूर्ति बरगद की लकड़ी से बनी हुई है। यह मंदिर अनोखी शिल्प कला का अद्भुत नमूना है। मिली जानकारी के अनुसार समुंदर की तह से तकरीबन 2000 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर स्थित पर्वत पर बना है और मंदिर एक सुंदर चट्टान के ढाल पर स्तिथ है। मंदिर से सामने कोसी घाटी का सुंदर नजारा देखने को मिलता है। मंदिर के पूर्वामुखी होने के कारण सूर्य देव की सबसे पहले किरणें इस मुख्य भवन पर पड़ती हैं।

नागर शैली में निर्मित यहां सूर्य देव धान मुद्रा में विराजमान हैं इस मंदिर की संरचना त्रिरथ है जो वर्गाकार गर्भगृह के साथ शिखर वक्र रेखी है। इस मंदिर के मुख्य भवन का शिखर खंडित अवस्था में है और मंदिर की संरचना को आधार दिए खम्भों पर खूबसूरत नक्काशी की गयी है। इस मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार उच्चकोटि की काष्ठ कला से निर्मित है। जिसे वर्तमान में दिल्ली स्तिथ राष्ट्रीय संग्राहलय में रखा गया है। भगवान सूर्य के साथ यहाँ  भगवान शिव , गणेश, विष्णु अन्य कई देवी–देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर में कई जगह की गई  नक्काशी मन्दिर को और ज्यादा खूबसूरती प्रदान करती है। मंदिर के आसपास का वातावरण बहुत ही मनमोहक, प्राकृतिक और शांत है। दर्शन के साथ-साथ लोग यहां प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव लेने भी आते है। आप को बता दे कि यह मंदिर साल भर खुला रहता है।  

रजत द्विवेदी