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प्रयागराज के ये हैं 5 प्रसिद्ध मंदिर, जानें इनका महत्व...

लेटे हनुमान जी

Lete Hanuman ji: हमारे देश में अनेकों मंदिर हैं जिनकी अलग-अलग मान्यताएं है। क्या आप जानते है उत्तर प्रदेश की धर्म नगरी कहे जाने वाले प्रयागराज में संगम किनारे हनुमान जी का बहुत ही अनोखा मंदिर है। जहां पर उनकी लेटे हुई प्रतिमा की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि संगम स्नान का पूरा पुण्य हनुमान जी के दर्शन के बाद ही पूरा होता है। बता दे कि पवन पुत्र के चौखट पर हर रोज हजारों की संख्या में भक्त हाजरी लगाने पहुंचते है।

वेणी माधव मंदिर

Veni Madhav Mandir: संगम क्षेत्र के दारागंज मोहल्ले में स्थित वेणी माधव मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति है। ऐसा माना जाता है कि बिना वेणी माधव के दर्शन के बिना संगम स्नान का पुण्य नहीं मिलता है। यही नहीं पंचकोसी परिक्रमा का केंद्र भी वेणी माधव मंदिर माना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु का वेणी माधव स्वरूप है। इस मंदिर में श्रद्धालु दर्शन करने दूर-दराज से आते हैं।

अलोपशंकरी देवी

Alop Shankari Mandir: मां दुर्गा के कई स्वरूप हैं, जिनके दर्शन-पूजन के लिए शक्तिपीठों में देवी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। देवी के इन मंदिरों में अपने विभिन्न रूपों में मां विद्यमान हैं। प्रत्येक मंदिर में मां के किसी न किसी अंग के गिरने की मूर्त निशानी मौजूद है, लेकिन संगम नगरी में मां सती का एक ऐसा शक्तिपीठ मौजूद है जहां न मां की कोई मूर्ति है और न ही किसी अंग का मूर्त रूप है। अलोपशंकरी देवी के नाम से विख्यात इस मंदिर में लाल चुनरी में लिपटे एक पालने का पूजन और दर्शन होता है। बता दे कि यहां आने वाले भक्त किसी प्रतिमा की नहीं, वरन झूले या पालने की ही पूजा करते हैं। मां के दरबार में दूर-दूर से श्रद्धालु मां की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

कल्याणी देवी मंदिर

Kalyani Devi Mandir: प्रयागराज के पुराने शहर में स्थित कल्याणी देवी मंदिर का पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व है जिसको शक्तिपीठ कहा जाता है। यहां मां के दर्शन-पूजन के लिए शहर के अलावा दूर-दराज से भी हजारों श्रद्धालु आते हैं।

शंकर विमान मंडपम्

Shankar Viman Mandapam: अद्भुत कलाकृति का नायाब नमूना संगम से कुछ दूरी पर बांध स्थित शंकर विमान मंडपम्। कम लोग ही जानते हैं कि यह तीन मंजिला मंदिर का निर्माण कांचिकामकोटि 69वें पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने अपनी गुरु की इच्छापूर्ति के लिए कराया था। बता दे कि हर तल अपने आप में खास माना जाता है पहले तल में कांचिकामकोटि पीठ की आराध्य कामाक्षी देवी को समर्पित है। दूसरे तल में भगवान विष्णु का बाला जी स्वरूप पर आधारित है। जबकि तीसरे तल में योग सहस्त्र लिंग एक पत्थर में है। एक पत्थर में एक हजार शिवलिंग एवं रुद्राक्ष का मंडप बना है।

 

रजत द्विवेदी