प्रयागराज: मां गंगा यमुना का संगम अपने कला संस्कृति के साथ ही कई ऐसे मंदिर भी है जो यमुना के बीच प्रकृति की एक अनोखी मिसाल है। घुरपुर के भीटा स्थित प्राचीन सुजावन देव मंदिर भगवान भोलेनाथ और मां यमुना को समर्पित है। इस मंदिर में साल भर लोगों का आना जाना रहता है। कार्तिक माह में यम द्वितीया पर यहां मेला लगता है। इस मेले में आस पास के अलावा कई राज्यों से लोग दर्शन पूजन के लिए आते हैं। स्थानिय लोगों के मुताबिक सुजावन देव मंदिर की उत्पत्ति की घटना काफी दिलचस्प है। जिस जगह यह मंदिर है इसके बारे में काफी दिनों तक लोगों को जानकारी ही नहीं थी। यमुना की एक शाखा जब ईस्ट इंडियन रेलवे के उस पार निकली तो उससे जुड़े ठेकेदारों ने ईंटों की खोज में इस स्थान को खोजा। ईंटों को निकालने पर यहां प्राचीन नगर की सभ्यता दिखी। इस नगर के चिह्न उत्तर की ओर सुजानदेव के मंदिर से आरंभ होकर दक्षिण में डेढ़ मील तक फैले हुए थे। मंदिर यमुना के बीच था। बताया जाता है कि पहले यह मंदिर शहर से मिला हुआ रहा होगा। समय के साथ नदी के प्रवाह बीच की भूमि कट कर बह गई। इसकी वजह से मंदिर बस्ती से अलग होकर टापू के रूप में यमुना के बीच में आ गया। बता दे की मंदिर जमीन से करीब 60 फुट ऊपर है।
यह मंदिर पर्यटन विभाग के नक्शे पर भी अंकित है। मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग से संरक्षित है। हालांकि बारिश में लोग नाव से मंदिर में पहुंच पाते हैं। वहीं बात करें मंदिर के स्वरुप की तो समय के साथ बदलता जा रहा है।
रजत द्विवेदी