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मंदिर में क्यों बजायी जाती है घंटियां ?

शास्त्रों के अनुसार घंटी शुभता का प्रतीक है,कहा जाता है की घंटी की आवाज वातावरण में फैली नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर , सकारात्मकता का आभास कराती है ,पुराणों में में तो ये भी कहा गया है कि मंदिर में घंटी बजाने से मनुष्य के पाप दूर हो जाते हैं।

 

सृष्टि के शुरुआत से ही है घंटी बजाने की परंपरा

 

मान्यता है की सृष्टि की रचना के समय एक मधुर धवनि गूंजी थी, वही समान ध्वनि घंटी के बजने से भी आती हैं  ऐसी ही आवाज के उच्चारण से भी आती है। सभी मंदिरों में बाहर घंटे या घंटियां बंधी होती हैं , जिन्हें लोग मंदिर में प्रवेश  करते ही भक्ति भाव  के साथ बजाते हैं। माना जाता है कि जिन जगहों पर नियमित रूप से घंटी की आवाज आती है वहां हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है इसी वजह से सुबह-शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो घंटी बजाई जाती है, जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति का आभास होता है शास्त्रों के अनुसार घंटी बजाने से मंदिर के देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है , मान्यता ये भी है कि घंटी की आवाज सुनकर देवी देवता जागते है और हमारी प्रार्थनाएं सीधा उन तक पहुँचती है।

 

घंटी बजाने के है वैज्ञानिक कारण

 

मंदिरों में घंटी बजाने के  वैज्ञानिक कारण भी है। जब घंटी बजाई जाती है तो उससे वातावरण में कंपन उत्पन्न होता है, इस कंपन से वातावरण में फैले जीवाणु-विषाणु आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे वातावरण में शुद्धता बनी रहती है।

 

एक वैज्ञानिक कारण यह भी है कि जब हम  घंटे के नीचे खड़े होकर सर ऊँचा करके हाथ उठाकर घंटा बजाते हैं तब प्रचंड घंटानाद होता है। यह ध्वनि पूरे वातावरण में गूंजती है। ध्वनि का यही आवाज  हमारे शरीर से होता हुआ भूमि में प्रवेश करता है। और यही ध्वनि हमारे मन में चल रहे नकारात्मक विचारों को नष्ट करता है  घंटी बजाने से हमारा ह्रदय और दिमाग दोनों ही  ईश्वर की दिव्य ऊर्जा ग्रहण करने के लिए तैयार होता है जिससे चित्त प्रसन्न होता है और शांति का अनुभव होता है।

 

अक्षरा आर्या