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हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता क्यों कहा जाता है ?

सनातन धर्म में सिद्धि का अर्थ होता है  पूर्णता को प्राप्त करना , शास्त्रो की माने  तो सिद्धि मंत्रों के द्वारा कठिन तप और साधना से प्राप्त की जाती है, कहा जाता है कि सिद्धियां प्राप्त कर लेने से दिव्व द्दष्टि की प्राप्ति होती है , जिस महान व्यक्ति को ये सिद्धियां हासिल हो जाती है वह किसी के भी मन के भाव को पढ़ सकता है और किसी भी समस्या का समाधान फ़ौरन कर सकता है , शास्त्रों के अनुसार  महाबली हनुमान को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता कहा जाता है। गोस्वामी तुलसी दास जी के द्वारा लिखी  हनुमान चालीसा में एक दोहा " अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता" है।  क्या आप जानते है क़ि , ये आठ  सिद्धियां कौन-कौन सी है। तो चलिए जानते है।

इन आठ सिद्धियों के बारे में , इन आठ सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और  वशित्व शामिल है। 

1-अणिमा- इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद वह साधक किसी को दिखाई नहीं पड़ता  और वह अपनी इच्छानुसार  किसी भी चीज में बड़ी ही आसानी से  प्रवेश कर जाता है। इस सिद्धि की मदद से राम भक्त  हनुमान कभी भी सूक्ष्म रूप धारण कर सकते थे । और उन्होंने इस सिद्धि का इस्तेमाल तब किया था जब उन्हें समुद्र पार कर लंका जाना था 

2.महिमा- इस तपो विद्या की मदद से साधक खुद को बहुत ही बड़ा रूप और आकार दे सकता है। महाबली हनुमान ने इस सिद्धि की मदद से सुरसा नामक राक्षसी को परास्त किया था, जब बजरंगबली समुद्र पार कर लंका जा रहे थे तभी सुरसा नामक राक्षसी ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की, तभी उन्होंने इस सिद्धि का उपयोग कर सुरसा को अपना विशाल रूप दिखाया।

3.गरिमा- इस सिद्धि को प्राप्त कर लेने पर साधक  खुद को जितना चाहे उतना  भारी कर सकता है। इस सिद्धि का इस्तेमाल हनुमान जी ने महाभारत काल में किया था जब भीम को अपनी शक्तियों पर अहंकार हो गया, उस समय हनुमान जी ने भीम के घमंड को तोड़ने के लिए एक वृद्ध वानर का रूप धारण करके रास्ते में अपनी पूंछ फैलाकर बैठ गए  थे और भीम ने जब हनुमान जी की पूंछ उठाने की कोशिश की तो वह उनकी पूंछ को नहीं उठा सके, और इस तरह से बजरंगबली ने भीम के अहंकार का नाश किया।

 4-लघिमा- इस सिद्धि की मदद से साधक जितना चाहे खुद हो उतना हल्का बना सकता है। बजरंगबली ने इस सिद्धि की मदद करते हुए सूक्ष्म रूप धारण करके अशोक वाटिका में पेड़ के पत्तों में छिप गए इन्ही पत्तों में छिपकर उन्होंने माता सीता को अपना परिचय दिया, जिसके बाद माता सीता ने महाबली हनुमान को उनके असली रूप में प्रकट होने के लिए आग्रह किया।

5-प्राप्ति - इस सिद्धि का इस्तेमाल कर के साधक किसी भी इच्छित चीज को आसानी से प्राप्त कर सकता है राम भक्त हनुमान ने इसी सिद्धि की मदद से सीता माता की खोज करते हुए कई पशु पक्षियो से बात की और यह पता लगा सके कि माता सीता इस वक्त  कहा है और यही वजह थी कि  हनुमान जी माता सीता को अशोक वाटिका में ढूंढ पाए।

6-प्राकाम्य- जिस भी साधक ने यह सिद्धि प्राप्त कर ली तो वह अपनी इच्छा से पृथ्वी में समा सकता है या आकाश में उड़ सकता है। इसी सिद्धि का उपयोग कर बजरंगबली लक्ष्मण जी के लिए संजीविनी बूटी लेकर आये थे और उनकी जान बचाई थी, इसके साथ ही वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी शरीर को धारण कर सकते हैं। रामचरितमानस के अनुसार बजरंगबली ने सुग्रीव के कहने पर ब्राह्मण का रूप धारण कर प्रभु श्री राम से मुलाकात की थी।

7- ईशित्व- इस सिद्धि को प्राप्त कर लेने के बाद साधक में शासन करने की क्षमता आ जाती है। ईशित्व सिद्धि की मदद से हनुमान जी ने समस्त वानर सेना का नेतृत्व किया। इसी सिद्धि के कारण ही बजरंगबली ने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा साथ ही इस सिद्धि से हनुमान जी किसी मृत प्राणी को भी जीवित कर सकते थे।

8-वशित्व- इस सिद्धि को पा लेने बाद साधक में दूसरों को वश में करने की क्षमता आ जाती है। वशित्व सिद्धि की मदद से बजरंगबली किसी भी प्राणी को अपने वश में कर सकते हैं। उनके वश में आते ही प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। यही कारण है कि हनुमान जी को अतुलित बल के धाम भी कहा जाता है।

अक्षरा आर्या