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नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का रहस्य, इतिहास और पौराणिक मान्यता...

Nepal: भगवान शिव के वैसे तो पुरी दुनियां में एक से बढ़ कर एक ऐतिहासिक मंदिर है जो अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है उन्ही में से एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जिसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ मंदिर का आधा भाग माना जाता है। जी हा हम बात कर रहे है नेपाल के काठमांडू में स्थित हिंदू धर्म में सबसे पवित्र तिर्थ स्थलों में से एक पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। भगवान शिव के दर्शन के लिए यहा पर देश-विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं।


इस मंदिर में भगवान शिव की एक पांच मुंह वाली मूर्ति है जो पशुपतिनाथ विग्रह में चारों दिशाओं में एक मुख और एकमुख ऊपर की ओर है। प्रत्येक मुख के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंदल मौजूद है। मान्यता के अनुसार पशुपतिनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिंग पारस पत्थर के समान है। कहते हैं कि ये पांचों मुंह अलग-अलग दिशा और गुणों का परिचय देते हैं। भगवान शिव की मूर्ति तक पहुंचने के चार दरवाजे बने हुए हैं। पश्चिमी द्वार की ठीक सामने शिव जी के बैल नंदी की विशाल प्रतिमा है जिसका निर्माण पीतल से किया गया है। इस परिसर में वैष्णव और शैव परंपरा के कई मंदिर और प्रतिमाएं है। 


मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि यह लिंग, वेद लिखे जाने से पहले ही स्थापित हो गया था। पशुपति काठमांडू घाटी के प्राचीन शासकों के अधिष्ठाता देवता रहे हैं। पाशुपत संप्रदाय के इस मंदिर के निर्माण का कोई प्रमाणित इतिहास तो नहीं है वही कुछ जगह पर यह उल्लेख मिलता है कि मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था


एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव यहां पर चिंकारे का रूप धारण कर निद्रा में बैठे थे। जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। कहा जाता हैं इस दौरान उनका सींग चार टुकडों में टूट गया था। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में यहां प्रकट हुए थे। इसके अलावा और भी कई कथा प्रचलित है।


इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि अगर आपने पशुपतिनाथ के दर्शन किए तो इसका पूरा पुण्य पाने के लिए आपको केदारनाथ धाम भी जाना होगा जहां आपको महादेव के दर्शन करने होंगे। मिली जानकारी के मुताबिक पशुपतिनाथ मंदिर में भैंस के सिर और केदारनाथ में भैंस की पीठ के रूप में शिवलिंग की पूजा होती है। पशुपति मंदिर को लेकर मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति यहां पर दर्शन के लिए आता है तो उसे किसी जन्म में पशु की योनि नहीं मिलती है। एक दूसरी मान्यता ये भी है कि अगर आपने पशुपति के दर्शन किए तो आप नंदी के दर्शन न करें। नहीं तो आपको दूसरे जन्म में पशु का जन्म मिलेगा। इस मंदिर के बाहर एक घाट बना हुआ है जिसे आर्य घाट के नाम से जाना जाता है। इस घाट के बारे में कहा जाता है कि मंदिर के अंदर सिर्फ इसी घाट का पानी जाता है। इसके अलावा कहीं और का पानी मंदिर में ले जाना वर्जित है। 


रजत द्विवेदी