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2025 में आकर्षण का केंद्र बनेगा डिजिटल कुंभ म्यूजियम, प्रयागराज के संगम तट पर महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर...

Mahakumbh 2025: तीर्थो के राजा प्रयागराज में 2025 में लगने वाले महाकुंभ की तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है। पूरे शहर में तो विभिन्न प्रकार के विकास कार्य चल ही रहे हैं, पर्यटन विभाग ने कुंभ से जुड़ी तैयार‍ियां भी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में सबसे खास होगा डिजिटल कुंभ म्यूजियम, जिसे लगभग 60 करोड़ की लागत से बनाने का कार्य प्रस्तावित है । इसमें भारत के पौराणिक और ऐतिहासिक स्थानों के चित्र शामिल किये जाएंगे और श्रद्धालु एक ही स्थान पर देश के विभिन्न धार्मिक स्थानों का अनुभव पा सकेंगे ।

डिजिटल कुंभ म्यूजियम में देश और प्रदेश की संस्कृति के अलावा महाकुंभ से जुड़े  महत्वपूर्ण चित्रों को भी शामिल किया जाएगा । यह म्यूजियम हीटिंग वेंटीलेशन एंड एयरकंडीशनिंग के साथ ही आडियो-वीडियो रूम की सुविधा से युक्त होगा। इसमें विभिन्न आध्यात्मिक दर्शन वाली गैलरी भी होंगी, जैसे- स्पिरिचुएल व कुंभ मेला, इंटरप्रेटेशन गैलरी, समुद्र मंथन गैलरी और अखाड़ा गैलरी इत्यादि। इंटरप्रिटेशन गैलरी में प्रयागराज के नक्शे को बड़ी स्क्रीन पर प्रेजेंट किया जाएगा तो वहीं समुद्र मंथन गैलरी में फ्लोर प्रोजेक्शन के माध्यम से समुद्र मंथन के दृश्य की प्रस्तुति होगी। अखाड़ा गैलरी में देश के अखाड़ों की संस्कृति को दिखाया जाएगा। 

पर्यटन विभाग के तैयारियों के तहत डिजिटल कुंभ म्यूजियम के अलावा प्रयागराज में स्थित भारद्वाज आश्रम, द्वादस माधव मंदिर, नागवासुकी मंदिर, दशाश्वमेध मंदिर, मनकामनेश्वर मंदिर, अलोपशंकरी मंदिर, पड़िला महादेव मंदिर, पंचकोशी परिक्रमा पथ के मंदिर, कोटेश्वर महादेव एवं कल्याणी देवी मंदिर का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। इसी प्रकार अन्य तीर्थ स्थलों का भी कायाकल्प भी प्रस्तावित है । गौरतलब है कि पर्यटन विभाग की तरफ से महाकुंभ को लेकर प्रयागराज के विभिन्न धार्मिक स्थलों के विकास पर लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

पौराणिक इतिहास की बात करें तो समुद्र मंथन के समय जब देवता और राक्षस मंथन से निकले अमृत कलश के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे थे तभी अमृत की कुछ बूंदे हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में गिरीं और मान्यता है कि तभी से इन स्थानों पर हर 12 साल बाद महाकुंभ और हर 3 साल में कुंभ का आयोजन होता है वहीं हरिद्वार और प्रयागराज में प्रत्येक 6 वर्षों में आयोजित होने वाले कुंभ को अर्धकुंभ कहा जाता है । प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होने की वजह से यहां कुंभ का विशेष महत्व है । 

रजत द्विवेदी