Bhagwan Jagannath: आपने आज तक सुना होगा कि मौसम परिवर्तन के साथ ही इंसान बीमार पड़ जाते हैं, जिन्हें इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ता है। लेकिन आपसे यह कहा जाए कि मंदिर में मौजूद भगवान भी बीमार हो जाते हैं और फिर वैद्य जी करते हैं इलाज, तो यह सुनकर आपको हैरानी जरूर होगी । आप सोचेंगे कि आखिर भगवान कैसे बीमार पड़ सकते हैं ? लेकिन ये सच है कि भगवान जगन्नाथ की भी तबीयत हर साल खराब हो जाती है और इसकी वजह है भक्तों के द्वारा भगवान को कराया जाने वाला अत्यधिक अभिषेक ।
दरअसल, भगवान भी कई बार मनुष्य की तरह लीलाएं करते हैं और मनुष्य रूप में ही रहते है। इसी कारण से मनुष्य पर लागू होने वाले सभी प्राकृतिक नियम उन पर भी लागू होते है जिसमें स्वास्थ्य खराब होना भी शामिल है । जीं हां, भक्तों के अपार स्नेह में भगवान इतना स्नान कर लेते हैं कि सर्दी-जुकाम तक हो जाता है । इसके बाद करीब 15 दिन तक उनका खास ख्याल रखा जाता है ।
ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से भगवान जगन्नाथ सहित उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अर्द्धरात्रि से बीमार हो जाते हैं और फिर इलाज के लिए किया जाता है इंतजाम । इस दौरान भगवान के माथे पर ठंडे पानी की पंट्टियां रखी जाती हैं । दिन में दो बार आरती से पहले भगवान जगन्नाथ को काढ़े का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा उन्हें छेने का भोग लगाया जाता है और रात में सोने से पहले केसरयुक्त दूध का भोग लगाया जाता है।
इसके बाद भगवान ठीक होकर आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ द्वितीया तिथि को गुड्डीचा मंदिर से पुन: अपने मूल मंदिर की ओर रथ यात्रा के द्वारा प्रस्थान करते है।
देश-दुनिया में प्रसिद्ध जगन्नाथ की भव्य और दिव्य रथयात्रा इस बार 20 जून को निकलेगी।
रजत द्विवेदी