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‘हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा’

भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में राजस्थान का खाटू श्याम मंदिर भी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खाटू श्याम मंदिर के अस्तित्व में आने के पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है ? जी हां, आप इस आलेख को पूरा पढ़ें और जानें कि आखिर कौन हैं खाटू श्याम, क्या है उनका श्रीकृष्ण और महाभारत से संबंध और क्यों है लोगों की उनमें इतनी आस्था ?

कौन हैं बाबा खाटू श्याम ?

महाभारत में एक चर्चित चरित्र है बर्बरीक, जो पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे । देवी भक्त बर्बरीक एक शक्तिशाली योद्धा था । बर्बरीक ने अपने तप से शिव को प्रसन्न करके तीन अभेद्य बाण प्राप्त किये थे जिस कारण उन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है । तीन दिव्य बाण प्राप्त होने की वजह से वो अजेय थे । इन बाणों की विशेषता थी कि अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे।

वही बर्बरीक दरअसल खाटू श्याम हैं । इसके पीछे एक रोचक कथा है । पौराणिक कथा के अनुसार बर्बरीक की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम अर्थात श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया क्योंकि उस युग में हारे हुए का साथ देने वाला ही श्याम नाम धारण करने की शक्ति रखेगा। बर्बरीक का शीश जिस जगह गिरा वह स्थान ही आज सीकर जिले में खाटू श्याम नगर के नाम से जाना जाता है ।

महाभारत, श्री कृष्ण और बर्बरीक

महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुए तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध हो जाएगा। बर्बरीक को रोकने के लिए भगवाम श्रीकृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर उनके सामने प्रकट हुए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि “तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो ?” जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वो एक दानी योद्धा हैं जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। भगवान श्री कृष्ण ने उनकी परीक्षा लेनी चाही तो उन्होंने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता भगवान श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।

भगवान श्रीकृष्ण बर्बरीक की शक्ति से चकित थे और किसी भी तरह से उसको युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए कृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि “तुम तो बड़े पराक्रमी हो, मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे।“ बर्बरीक ने जब भगवान कृष्ण से दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गये कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया। चूंकि शीश दान से पहले बर्बरीक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध देखने के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।

श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे अर्थात श्याम नाम से पूजे जाओगे... तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।

खाटू श्याम कैसे बने हारे का सहारा

जब युद्ध की समाप्ति के बाद सभी पांडव विजय का श्रेय लेने लगे। आखिरकार निर्णय के लिए सभी श्रीकृष्ण के पास गए तो वह बोले, ‘‘मैं तो स्वयं व्यस्त था इसलिए मैं किसी का पराक्रम नहीं देख सका। सभी बर्बरीक के पास चलते हैं।’’ वहां पहुंचकर भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे पांडवों के पराक्रम के बारे में पूछा तो बर्बरीक के शीश ने उत्तर दिया, ‘‘भगवन युद्ध में आपका सुदर्शन चक्र नाच रहा था और मां जगदम्बा लहू का पान कर रही थीं, मुझे तो ये लोग कहीं भी नजर नहीं आए।’’बर्बरीक का उत्तर सुन सभी की नजरें नीचे झुक गईं ।

अपनी कलाएं एवं अपनी शक्तियां प्रदान करते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि, ‘‘बर्बरीक धरती पर तुम से बड़ा दानी न तो कोई हुआ है और न ही होगा। मां को दिए वचन के अनुसार, तुम हारने वाले का सहारा बनोगे। लोग तुम्हारे दरबार में आकर जो भी मन्नत मांगेंगे उन्हें मिलेगा।’’

खाटू श्याम मंदिर की विशेषता

सीकर स्थित खाटू श्याम मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है । इस मंदिर की एक बहुत ही खास और अनोखी बात प्रचलित है। कहा जाता है कि जो भी इस मंदिर में जाता है उसे बाबा श्याम का हर बार एक नया रूप देखने को मिलता है। कई लोगों को उनके आकार में भी बदलाव नजर आता है।

प्रत्येक वर्ष बाबा श्याम का ‘लक्खी मेला’ फाल्गुन मास में लगता है जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। मेले में बड़े से बड़े घरों के लोग भी एक आम आदमी की तरह श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं।

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