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क्यों है गया का विष्णुपद मंदिर इतना दिव्य ?

एक ऐसा मंदिर जो भगवान विष्णु के पदचिंह्न हैं और जहां साक्षात श्रीहरि की कृपा बरसती है। सम्पूर्ण विश्व में यही एक ऐसा स्थान है जहाँ भक्त श्रीहरि के चरणों के साक्षात् दर्शन करते हैं। एक ऐसा मंदिर जिसका निर्माण कसौटी के पत्थर से किया गया है। आज हम आप को बताएंगे मोक्ष की नगरी गया में स्थित दिव्य विष्णुपद मंदिर के बारे में।

गया में साल भर होता है श्राद्ध

बिहार में  गया ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहां पूरे साल श्राद्ध किया जाता है। गया तीर्थ सनातन धर्म के लिए काफी महत्वपूर्ण और अद्भुत है । कहते है यहाँ पिंडदान करने से पूर्वजों को साक्षात भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन्हें मुक्ति मिलती है। 

मंदिर का इतिहास काफी पुराना

फल्गु नदी के किनारे स्थित विष्णुपद मंदिर का इतिहास काफी पुराना है ।  मान्यता है कि गया के इस मंदिर में भगवान विष्णु पितृ देवता के रूप में निवास करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में दर्शन करने से श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है और श्रद्धालुओं के सभी दुःखों का नाश होता है।

वैभव को संजोए है मंदिर

यह मंदिर हजारों साल के वैभव को पूरा संजोए है। मंदिर के बनावट की अगर बात की जाये तो यह मंदिर सोने को कसने वाला पत्थर 'कसौटी' से बना है। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 100 फीट है। इस मंदिर के सभा मंडप में तकरीबन 44 स्तंभ हैं ।  मंदिर के शीर्ष पर 50 किलो सोने का कलश और 50 किलो सोने की ध्वजा लगी है। गर्भगृह में 50 किलो चांदी का छत्र और 50 किलो चांदी का अष्टपटल है, जिसके अंदर भगवान विष्णु की चरण पादुका विराजमान है। 54 पिंडवेदियों में से कुल 19 वेदी विष्णुपद मंदिर में ही हैं, जहाँ पर पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान किया जाता है। 

पदचिंह्न से जुड़ी पौराणिक कथा

मंदिर में भगवान के पदचिह्नों को लेकर एक और कथा मिलती है कि विष्णुपद मंदिर में भगवान विष्णु के पदचिंह्न ऋषि मरीची की पत्नी माता धर्मवत्ता की शिला पर है। राक्षस गयासुर को स्थिर करने के लिए धर्मपुरी से माता धर्मवत्ता शिला को लाया गया, जिसे गयासुर पर रख श्रीहरि ने अपने पैरों से दबाया। स्थानीय लोगों के मुताबिक तभी से ही इस शिला पर भगवान के पदचिंह्न है।

तर्पण-श्राद्ध के बाद दर्शन करें

पितृपक्ष में गया तीर्थ में तर्पण एवं श्राद्ध के लिए देश भर से श्रद्धालु आते हैं। मान्यता है कि तर्पण एवं श्राद्ध कर्म करने के बाद भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से सभी दुखों का नाश होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

तो ये थी प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर की कहानी। जीवन में एक बार गया जाना हर सनातनी का सपना होता है। अगर आपको भी ये सौभाग्य प्राप्त हो तो आप विष्णुपद के दर्शन जरूर कीजियेगा। आपको इसकी दिव्यता का एहसास होगा।

रजत द्विवेदी