Sanskar
Related News

सम्पूर्ण विश्व में ब्रह्मा जी का है यह एकमात्र मंदिर...

राजस्थान के पुष्‍कर झील के किनारे है ब्रह्मा जी का यह मंदिर, जो 2000 साल पुराना है। सम्पूर्ण विश्व में ब्रह्मा जी का यह एकमात्र मंदिर है इसलिए पुष्कर शहर की मान्यता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। जिस तरह प्रयाग को प्रयागराज कहा जाता है उसी प्रकार पुष्कर तीर्थ को पुष्करराज कहा जाता है। इसे दुनिया का पांचवा तीर्थ भी माना जाता है। साथ ही पुष्कर की गणना पंच सरोवर में भी की जाती है। पुष्कर तीर्थों का राजा होने के साथ-साथ गुलाब के फूलों के लिए भी दुनिया भर में प्रसिद्द है विद्वानों के अनुसार पुष्कर का अर्थ ही है एक ऐसा तालाब जिसका निर्माण फूल से हुआ।

इस शहर का नाम पुष्कर कैसे पड़ा-

जगतपिता  ब्रह्मा इस सृष्टि के आदिदेव हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर यज्ञ करने की योजना बनायीं, यज्ञ की जगह का चुनाव करने के लिए उन्होंने अपने हाथों से एक कमल पृथ्वी लोक भेजा और वो राजस्थान के पुष्कर में जा गिरा, उस पुष्प का एक अंश गिरने से एक पवित्र तालाब बन गया। इसलिए ब्रह्मा जी ने पुष्कर को यज्ञ स्थल के रूप में चुना और इस शहर का नाम पुष्कर पड़ा।

मंदिर से जुड़ी कथा-

ये तो रही पुष्कर की बात अब ब्रह्मा मंदिर से जुड़ी कथा के बारे में जानते हैं। पुष्प के गिरने के बाद ब्रह्मा जी, देव लोक के समस्त देवी देवता सहित यज्ञ के लिए पुष्कर पहुंचे, यह यज्ञ सृष्टि के कल्याण के लिए कराया जा रहा था और इस यज्ञ को मुहूर्त के अनुसार पूर्ण किया जाना था, लेकिन ब्रह्म देव की पत्नी सावित्री यज्ञ स्थल पर ठीक समय पर नहीं पहुंच सकी। यज्ञ का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था, सभी देवी-देवता चिंतित हो उठे। ऐसे में ब्रह्मा जी ने गायत्री देवी से विवाह कर यज्ञ शुभ समय पर शुरू किया। कुछ समय बाद जब देवी सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में किसी और स्त्री को देखा तो वे क्रोधित हो गई। सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि इस पृथ्वी लोक में आपकी कहीं पूजा नहीं होगी। आप केवल पुष्कर में ही पूजे जायेंगे, यही कारण है कि धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा होती है।

मंदिर की बनावट भी बेहद खास-

ब्रह्मा मंदिर की बनावट भी बेहद खास है। इस मंदिर का निर्माण संगमरमर से किया गया है और चाँदी के सिक्कों से सजाया गया है। यहाँ मंदिर के फर्श पर एक रजत कछुआ भी है, दीवारों पर अंकित मोर के चित्र भी मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं। मंदिर के गर्भगृह में जगतपिता ब्रह्मा कि चारमुखी प्रतिमा के साथ देवी गायत्री भी विराजमान हैं। जगतपिता ब्रह्मा की यज्ञ भूमि पुष्कर की यात्रा सातों लोकों की यात्रा है। पुष्कर सभी देवी देवताओं को प्रिय है इसलिए इसे तीर्थ गुरु कहते हैं।

ब्रह्मा मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं मौजूद-

पुष्कर की इस पावन धरती पर ब्रह्मा मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, ऐसा ही मंदिर देवी सावित्री का भी हैं, जो पुष्कर में रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी कथा भी ब्रह्मा मंदिर की कथा के समान है। देवी सावित्री ने ब्रह्मा जी की पत्नी के रूप में देवी गायत्री को देखकर श्राप दिया था। बाद में स्वयं रत्नागिरी पहाड़ी पर जाकर तपस्या करने लगी और यहीं पर निवास करने का फैसला लिया।

अक्षरा आर्या