काशी को कोई धर्म की नगरी कहता है , तो कोई इसे मोक्ष की नगरी कहता है। .. तो कोई इसे ज्ञान की नगरी बताता है... ये नगरी बाबा विश्वनाथ की है जिसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी काशी के कोतवाल कहे जाने वाले भैरोनाथ की है मोक्षदायनी गंगा के किनारे बसे इस नगर में छोटे बड़े हजारों मंदिर हैं जो लोगों के विश्वास और आस्था का एक बड़ा केंद्र है। .. इन्ही हजरो मंदिरो में से एक है संकट मोचन मंदिर जो महाबली हनुमान जी को समर्पित है। ... ये मंदिर अपने आप में बेहद खास है। ... और इसका इतिहास भी उतना ही महान है बता दे कि, ये मंदिर उसी दिव्य स्थान पर बना है जहाँ हनुमान जी ने गोस्वामी तुलसीदास जी को साक्षात दर्शन दिया था।
संकट मोचन मंदिर की पौराणिक कथा और इतिहास...
बनारस के संकट मोचन मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल पुराना है रामचरितमानस की रचना करने वाले महाकवि तुलसीदास ने इस मंदिर का निर्माण कराया था , इतिहासकारो के अनुसार यह मंदिर सन 1631 - 1680 के बीच बनवाया गया ,इस मंदिर से जुडी पौराणिक मान्यता यह है कि.... तुलसीदास जी महाराज रोजाना गंगा स्नान के बाद एक सूखे पेड़ में एक लोटा जल दिया करते थे इसी क्रम में एक दिन जब तुलसीदास जी ने सूखे पेड़ के जड़ में जल दिया तो वहां एक प्रेत प्रकट हुआ , कई लोगो का मानना है की वो प्रेत कोई यक्ष था , उसी प्रेत ने तुलसीदास जी राम भक्त हनुमान से मिलने का पता बताया.... प्रेत ने उन्हें गंगा घाट पर बैठे एक कुष्ट रोगी के पास भेजा और कहा कि वही महाबली हनुमान है ... प्रेत की बात मानकर तुलसीदास उस रोगी के पास पहुंचे और उनके पाँव पकड़ लिया और उनसे कहा मुझे पता है आप हनुमान जी है कृपया मुझे दर्शन दें। तुलसीदास जी के अनुरोध पर महावीर हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिया , और उसी स्थान पर मिटटी के स्वरुप में बजरंगबली स्थापित हो गए , जिसके बाद तुलसीदास जी ने वहां संकट मोचन हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया |
इस स्थान पर लिखा गया था रामचरित मानस...
माना जाता है की इस मंदिर के परिसर में जो एक विशाल पीपल का पेड़ है , इसी पेड़ के निचे बैठकर तुलसीदास जी ने रामचरित मानस का एक बड़ा हिस्सा लिखा था इस पीपल के पेड़ के अलावा यहाँ एक गहरा कुआँ भी है , मदिर में हनुमान जी के मूर्ति पर सिंदूर का लेप किया गया है... इसके अलावा मंदिर में भगवान राम की मूर्ति भी स्थापित की गई है।
संकट मोचन संगीत समारोह
इस मंदिर में हर साल अप्रैल के महीने में भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है। जिसमें "संकट मोचन संगीत समरोह" और “नृत्य समारोह” का आयोजन किया जाता है, जिसमे हिस्सा लेने देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं।
अक्षरा आर्या