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पूर्वी चंपारण में बन रहा है विश्व का सबसे ऊंचा और भव्य ‘रामायण मंदिर’

भारत मंदिरों का देश है । ऐसे अनेक भव्य मंदिर हैं जो तीर्थाटन के साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं । ऐसा ही एक विशाल मंदिर बिहार के पूर्वी चंपारण में आकार ले रहा है । जीहां, यहां दुनिया का सबसे विराट ‘रामायण मंदिर’ बनाने का काम शुरू हो चुका है । क्या होगी मंदिर की विशेषता, कितने बड़े क्षेत्र में फैला होगा मंदिर और किस तरह की सुविधाएं की जा रही हैं विकसित ? आइए, जानते हैं । 

पूर्वी चंपारण के कल्याणूर ब्लॉक के अंतर्गत कैथवलिया-बहुआरा के ग्रामीण क्षेत्र में मंदिर का निर्माण कार्य 20 जून से विधि-विधान पूर्वक शुरू किया जा चुका है। यूं तो मंदिर के लिए भूमि पूजन 2012 में हो गया था लेकिन शिलान्यास पिछले साल ही हो सका है ।

क्या-क्या होगा मंदिर में विशेष ?

- कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर से दोगुनी होगी ऊंचाई

- मंदिर में सबसे ऊंचा शिखर 270 फीट का बनेगा

- बाकी पांच शिखर अलग-अलग ऊंचाइयों के होंगे

- 120 एकड़ होगा परिसर, शिखरों की संख्या 12 होगी  

- मंदिर 1080 फीट लंबा और 580 फीट चौड़ा होगा

- 1000 टन स्टील के 3102 पिलरों का निर्माण होगा  

- फाउंडेशन में 15,000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट लगेगा 

- निर्माण में 500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है

- विशाल परिसर में देवी-देवताओं के 22 गर्भगृह होंगे

- राम-सीता, लव-कुश, महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति होगी

- मंदिर भगवान राम के मौजूदा मंदिरों से बड़ा होगा

- दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग यहीं स्थापित होगा

- लगभग 250 टन का शिवलिंग 33 फीट ऊंचा होगा

प्रस्तावित राम-जानकी पथ पर बन रहा मंदिर

अयोध्या से नेपाल के जनकपुर के बीच बिहार में जानकी नगर है जो पूर्वी चंपारण क्षेत्र में आता है। मान्यता है कि सीता जी से विवाह के बाद जनकपुर से लौटते वक्त भगवान राम की बारात यहां रुकी थी। इसी स्थान पर विश्व का सबसे विशाल मंदिर बनना शुरू हो गया है । निर्माण स्थल कैथवलिया विश्व प्रसिद्ध केसरिया बौद्ध स्तूप से करीब 10 किमी की दूरी पर है । खास बात है कि यहीं से प्रस्तावित ‘राम-जानकी पथ’ भी गुजरेगा जिसकी स्वीकृति केंद्र सरकार ने दे दी है और सर्वे कार्य प्रगति पर है। यह सड़क अयोध्या और जनकपुर को सीधे जोड़ेगी। वैसे यह स्थान पटना से लगभग 120 किमी दूर है ।

भूकंप में भी सुरक्षित रहेगा मंदिर

भूकंप से मंदिर को नुकसान न पहुंचे इसके लिए सभी तरह की तकनीक प्रयोग की जा रही है । मंदिर का निर्माण सिस्मिक जोन-5 के जोखिम के हिसाब से किया जा रहा है ताकि बड़े झटकों का प्रतिकूल प्रभाव न पड़ सके ।  जोन-5 भूकंप के लिहाज से सबसे जोखिम भरा माना जाता है । मंदिर का निर्माण इस तरह किया जाएगा ताकि इमारत 250 साल तक जस की तस खड़ी रहे।

मंदिर में बनेगा जलाशय गंगासागर

 मंदिर को हर दृष्टि से मनमोहक और सुंदर बनाने की तैयारी की जा रही है ताकि जो भी यहां आये वो आकर्षक और स्थायी स्मृतियां लेकर जाए । इसी कड़ी में मंदिर परिसर में एक जलाशय का भी निर्माण कराया जाएगा जिसकी लंबाई 800 और चौड़ाई 400 फीट होगी। इसे ‘गंगासागर’ के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशाला भी बनाई जाएगी  । मंदिर में एक समय में 20,000 लोगों के बैठने की क्षमता होगी।

सरयू-गंगा के संगम से श्रद्धालु लेंगे जल

श्रद्धालु सारण जिले के सिताबदियारा के समीप सरयू और गंगा नदी के संगम से जल भरेंगे । इसके बाद 75 किलोमीटर की दूरी तय कर विशाल रामायण मंदिर पहुंचेंगे और शिवलिंग पर जल चढ़ाएंगे। शिव लिंग पर जलाभिषेक के लिए तीसरे तल पर जाना होगा जिसकी उत्तम व्यवस्था की जाएगी। 33 फीट ऊंचे शिवलिंग का निर्माण तमिलनाडु के महाबलीपुरम में हो रहा है। अभी तंजौर में 27 फीट का शिवलिंग विश्व का सबसे ऊंचा शिवलिंग माना जाता है।

पहले चरण में लगभग 3000 खंभों की पाइलिंग यानि फाउंडेशन वर्क नवंबर 2023 तक पूरा कर लिया जायेगा। अगले ढाई साल में मंदिर के स्ट्रक्चर के निर्माण का काम पूरा करने की योजना है। मंदिर का निर्माण 2025 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद शिखर का निर्माण होगा । यह परियोजना बिहार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।