हिंदू धर्म में वैसे तो बहुत से देवी-देवता पूजनीय है लेकिन प्रथम पूज्य भगवान गणेश को ही माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में गणपति से जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएं मिलती हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं । हम आपको भगवान गणेश से जुड़ी ऐसी ही रोचक कथा के बारे में बताएंगे कि भगवान गणेश कैसे पाताल लोक के राजा बने। तो चलिए जानते हैं इस कथा के विषय में।
एक बार गणपति मुनि पुत्रों के साथ पराशर ऋषि के आश्रम में खेल रहे थे । तभी वहां कुछ नाग कन्याएं आ गई और गणेश जी से आग्रह करने लगीं कि वे उनके साथ उनके नागलोक चलें । गणपति भी उनका ये निवेदन ठुकरा नहीं सके और उनके साथ नाग लोक चले गये। नागलोक पहुंचने पर नाग कन्याओं ने उनका पूरी तरह से आदर सत्कार किया। तभी नागराज वासुकी ने भगवान गणेश को देखा और उनका रूप देखकर उपहास करने लगे । भगवान गणेश को जब इस बात का आभास हुआ कि वो उनका मजाक उड़ा रहे हैं तो गणेश जी को क्रोध आ गया । उन्होंने वासुकी के फन पर पैर रख दिया और उसके मुकुट को स्वयं पहन लिया।
जब शेषनाग ने गणेश जी को बनाया पाताल लोक का राजा
वासुकी की दुर्दशा का पता जब उनके बड़े भाई शेषनाग को चला तो वो भी वहां जल्दी से पहुंचे। उन्होंने वहां आकर जोर से गर्जना की कि किसने उनके भाई के साथ इस तरह का व्यवहार किया है। उनके स्वर को सुनते ही गणेश भगवान सामने आ गये। जैसे ही शेषनाग ने उनको देखा तो वे उन्हें पहचान गए और उनका ह्रदय से अभिवादन किया । शेषनाग ने भगवान गणेश के सिर पर मुकुट देखते ही नागलोक यानि पाताल लोक का राजा घोषित कर दिया।
वासुकी द्वारा किये गये अपमान का बदला लेते हुए गणेश जी ने वासुकी को अपने पैरों तले तो दबाया ही साथ ही शेषनाग द्वारा नागलोक यानि पाताललोक के राजा भी घोषित किये गये। शेषनाग भगवान गणेश की शक्तियों के बारे में जानते थे । तो इस तरह से शेषनाग ने गणेश जी को पाताल लोक का राजा बनाया।
प्रथम पूज्य हैं शिव-पार्वती के पुत्र गणेश
माता पार्वती और भगवान शिव के छोटे पुत्र हैं भगवान गणेश, जिन्हें माता-पिता द्वारा प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद प्रदान किया गया। कथाओं में ऐसा उल्लेख है कि भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती के उबटन से हुआ और भगवान शिव द्वारा उन्हें गज का सिर लगाया गया जिससे उन्हें यह रूप मिला । इसलिए भगवान गणेश को गजानन भी कहा जाता है। भगवान गणेश की कथाओं का वर्णन अनेक ग्रंथों में मिलता है। गणेश जी से जुड़ी कई ऐसी कथाएं हैं जो कृष्ण लीलाओं से मिलती जुलती हैं।
सनातन धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। सभी देवी-देवताओं का अपना अलग ही महत्व है लेकिन भगवान गणेश जी का हर शुभ काम से पहले पूजन किया जाता है ताकि काम में कोई विघ्न न आये।