ये सम्पूर्ण विश्व माँ भगवती से ही उत्पन्न हुआ है इसलिए माँ का एक नाम जगत-जननी भी है। श्रीमद्देवीभागवत के अनुसार जब इस संसार में हर तरफ अंधकार ही अंधकार था। ना सूर्य था ना चंद्रमा । तब भगवती पराम्बा परमेश्वरी की कृपा से एक दिव्य प्रकाश उत्पन्न हुआ और उसके प्रभाव से विशालकाय लिंग रूप में शिव उत्पन्न हुए। उसी प्रकाश से श्री हरि विष्णु प्रकट हुए और उनकी नाभि से कमल पुष्प में आसीन हो ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए।
तीनों ने मिलकर माँ पराम्बा को प्रणाम किया और स्वयं अपना ही परिचय जानना चाहा। देवी ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की और कहा कि आप तीनों मेरे द्वारा ही दिव्य प्रकाश से उत्पन्न हुए हैं।
इस ब्रह्मांड को चलाने का कार्य मैं आप तीनों को सौपना चाहती हूँ। इसमें समस्त संसार की रचना का कार्य मैं ब्रह्मा को सौंपती हूँ, ब्रह्मा द्वारा रचित संसार के पालन-पोषण का कार्य नारायण करेंगे और संसार में नियंत्रण बना कर संहार करने का कार्यं शिव करेंगे। जीवन-चक्र को आगे बढ़ाने में प्रथम योगदान पुरुष का होगा और जन्म देने का कार्य नारी का होगा। इसलिए सर्वप्रथम आप तीनों की उत्पत्ति मेरे द्वारा हुई है। मैं अपनी देह से तीन दिव्य स्वरुप धारण करके आप तीनों की शक्ति बनकर इस पुनीत कार्य में सहयोग करुँगी।
त्रिदेवों ने माता को प्रणाम कर जगदम्बा नाम से सम्भोधित किया। जगदम्बा का अर्थ होता है जगत की अम्बा अर्थात जगत की माता यानि जगत जननी। इस प्रकार संसार के क्रम को चलाने के लिए माँ पराम्बा तीन दिव्य स्वरुप में प्रकट हुईं जिसमें परम पिता ब्रह्मा का सहयोग देने के लिए ब्रह्माणी अर्थात सरस्वती प्रकट हुईं। नारायण का सहयोग देने के लिए नारायणी अर्थात लक्ष्मी प्रकट हुईं और महादेव का सहयोग देने के लिए शिवा अर्थात पार्वती जी का प्राकट्य हुआ।
त्रिदेवों के साथ त्रिदेवियों ने कई लीलाएं की, इन्हीं के अंश से देवी-देवता उत्पन्न हुए, सप्त ऋषियों का प्राकट्य हुआ, इन्हीं से ऋषि-मुनि और संत-महात्मा हुए और इस प्रकार संसार में मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और विभिन्न प्रजातियां बनीं। संसार में जीवन-मरण का चक्र चला और नियंत्रण स्थापित हुआ।
यही देवी प्रकृति हैं, यही सभी प्राणियों की चेतना है, यही जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, अग्नि हैं और समय आने पर दानवों का संहार करने वाली चंडिका हैं। यही देवी कई नामों से जानी जाती हैं.... भद्रकाली, रणचंडी या फिर मां दुर्गा, जिन्होंने दुष्ट दानवों का संहार कर इस जगत की व्यवस्था को बनाये रखा है।