दिल्ली में मरघट में स्थित है हनुमान जी का मंदिर, रामायण काल से है संबंध
हनुमान चालीसा में लिखा है ‘भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावै’...
हनुमान जी हर भय से हमारी रक्षा करते हैं। पवनपुत्र उनकी हर कामना को पूरा भी करते हैं। ये मंदिर दिल्ली में मौजूद है, जिसे सब मरघट वाले बाबा हनुमान मंदिर के नाम से जानते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रामायण काल में जब बजरंगबली संजीवनी बूटी लेकर लंका जा रहे थे तब उन्होंने यमुना नदी बहती देखी और यहां विश्राम करने के बारे में सोचा, लेकिन जैसे ही वो यहां उतरे तो उन्होंने शमशान घाट देखा। हनुमान जी के यहां उतरने से बुरी आत्माएं डर गईं। तब हनुमान जी के यहां रहने मात्र से सभी आत्माओं को मोक्ष मिल गया। इसके बाद यमुना जी ने बजरंगबली से कहा कि वो उनके दर्शन के लिए आया करेंगी। यहां के साधुओं का मानना है कि जब यमुना जी का बजरंगबली का दर्शन करने का मन होता है, तो विशाल रूप ले लेती हैं। इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा लगभग सात-आठ फीट जमीन के नीचे है।
इस मंदिर के सामने आज भी शमशान घाट है। मान्यता है कि इस शमशान घाट में जो भी अंतिम यात्रा पर आता है उसे बजरंगबली की कृपा से मोक्ष प्राप्त होता है। मरघट वाले हनुमान मंदिर में मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है ।