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हर साल तिल जितना बढ़ता एक शिवलिंग

धर्म नगरी काशी में वाराणसी के सोनारपुरा में स्थित तिलभांडेश्वर नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में स्थापित स्वयं-भू शिवलिंग साल में एक बार मकर संक्रांति के दिन तिल बराबर बढ़ता है। इस शिवलिंग का आकार काशी के 3 सबसे बड़े शिवलिंग में से एक है, जिसमें हर वर्ष तिल के सामान वृद्धि होती है। प्राचीन काल में यहाँ ऋषि विभांड की तपस्या से महादेव इस स्थान पर प्रकट हुए। भगवान शिव ने ऋषि से कहा था कि कलयुग में यह शिवलिंग तिल के समान बढ़ेगा और इसके दर्शन मात्र से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।

 

कहा जाता है यह मंदिर उस स्थान पर स्थापित है, जहां द्वापर युग में तिल की खेती हुआ करती थी। इस मंदिर का इतिहास भी द्वापर युग से जुड़ा है। उस समय जब इस शिवलिंग को स्थानीय लोगों ने देखा और तिल की खेती के बीच इस शिवलिंग को देखकर इसकी पूजा-पाठ शुरू की, तभी से इसे तिलभांडेश्वर के नाम से जाना जाने लगा। इस शिवलिंग की आकृति को बढ़ने से रोकने के लिए, इसे नारियल की जटाओं से सुबह-शाम घिस-घिसकर साफ किया जाता है, ताकि इस में होने वाली बढ़ोतरी रोकी जा सके। अगर आपने इस मंदिर के दर्शन किये हैं तो तो हमें कॉमेंट में हमें जरूर बताएं।