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शिवालय की सीढ़ियां और शिव कृपा

अक्सर आपने देखा होगा कि भक्त जब शिवालय से पूजा करके निकलते हैं तो अधिकतर चौखट पर या सीढ़ियों पर कुछ पल के लिए शांत होकर बैठ जाते हैं । वो मन ही मन भगवान के नाम का जाप करते हैं। ऐसा क्यों? क्या ये कोई सामान्य सी बात है या इसके पीछे कोई गहरा रहस्य है ? मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में केवल शिवालय ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहां के गर्भगृह में हम प्रवेश कर सकते हैं और शिवलिंग के रूप में भगवान का स्पर्श कर पूजन-अर्चन कर सकते हैं । जब पूजा संपन्न होने के बाद कोई भक्त दहलीज़ पर या सीढ़ियों पर बैठ कर एक याचक की भांति अपने आराध्य की ओर देखता है और उनका ध्यान करता है। साथ ही मंदिर में जाने वाले भक्तों की चरण रज में बैठने का सौभाग्य मिलता है जिससे न सिर्फ मन को शांति प्राप्त होती है और अहंकार भी समाप्त होता है। ऐसे में भगवान भी उस भक्त की भावना का सम्मान करते हुए उस पर अपनी कृपा बरसाते हैं।


अगली बार जब आप किसी शिवालय जाएं तो पूजा के बाद कुछ पल वहीं बाहर जरूर बैठें। क्योंकि कभी-कभी, भगवान की सबसे ज़्यादा कृपा, शोर और मौन से नहीं, उनके द्वार पर बैठकर मिलती है। वैसे भी शिव जी, आशुतोष हैं अर्थात अपने भक्तों पर जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।