हनुमान जी को लेकर ऐसी मान्यता है कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं लेकिन उनका एक मंदिर ऐसा भी है जहां उनकी पूजा स्त्री रूप में होती है । इतना ही नहीं, यहां उनका 16 श्रृंगार भी किया जाता है।
मंदिरों के देश भारत में बहुत से ऐसे मंदिर हैं जो अलग-अलग वजहों से आस्था का केंद्र हैं। इन्हीं में एक है छत्तीसगढ़ का गिरजाबंध हनुमान मंदिर, जहां हनुमान जी को चोला नहीं बल्कि 16 श्रृंगार अर्पित किए जाते है। बिलासपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर बने इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां हनुमान जी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी । इस मंदिर का निर्माण पृथ्वी देवजू नामक राजा ने करवाया था जो बजरंगबली के बहुत बड़े भक्त थे और रतनपुर में कई वर्षों तक शासन किया। लेकिन वो कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक राजा देवजू को स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन दिये और महामाया कुंड से मूर्ति निकाल कर मंदिर में स्थापित करने का निर्देश दिया।
राजा ने बिल्कुल वैसा ही किया लेकिन जब उन्होंने मूर्ति निकलवाई तो उसे देख कर वो हैरान हो गये क्योंकि मूर्ति में हनुमान जी का स्वरूप स्त्री जैसा था। राजा ने हनुमान जी का आदेश मान कर पूरे विधि-विधान के साथ उस मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया और कुछ ही दिनों बाद वह कुष्ठ रोग से भी मुक्त हो गये।
यहाँ हनुमान जी की दक्षिणमुखी प्रतिमा है, जो अपने बायें कंधे पर भगवान राम और दायें कंधे पर माता सीता को उठाए हुए हैं। माना जाता है जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ हनुमान जी से कुछ मांगता है तो उसकी मन्नत हनुमान जी अवश्य पूरी करते है।