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नवरात्र में कैसे जलाएं अखंड ज्योति ?

सनातन धर्म में प्रत्येक धार्मिक कार्य का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित करने से होता है। अखंड दीप हमेशा पहले नवरात्र के दिन जलाया जाता है जो नौ दिन लगातार कन्या पूजन तक निरंतर प्रज्वलित रहता है। माँ दुर्गा की अखंड ज्योति जलाने के लिए पीतल या मिट्टी का थोड़ा बड़ा दीपक लें। कलावे की सहायता से बड़ी बाती बना लें, दीपक के नीचे गंगा जल डाल कर, थाली में साबुत चावल में हल्दी मिला कर या फिर रोली से अष्टदल कमल बना लें । आप चावल की ढेरी बना कर भी दीपक को रख सकते हैं। आप अपनी क्षमता के अनुसार तिल या नारियल के तेल या गाय के शुद्ध देसी घी द्वारा ज्योति को प्रज्वलित करें और माँ दुर्गा का ध्यान मंत्र तीन बार पढ़ कर आह्वाहन करें। ‘सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते'

 

अखंड दीप प्रज्वलित होने के बाद माँ के चरणों में प्रार्थना कर प्रणाम करें और दीप की रक्षा का भार स्वयं माँ भगवती के चरणों में सौंप दें। जिस स्थान पर अखंड ज्योति जल रही हो वहां की शुद्धता, स्वच्छता और पवित्रता को बनाए रखें। समय-समय पर आवयश्कतानुसार दीपक में घी या तेल डालते रहें । सम्भव हो तो अखंड ज्योति के सन्मुख भजन और दुर्गा सप्तशती पाठ करें। और हाँ माँ भगवती की पवित्र पावन ज्योति को सदैव दूर से ही प्रणाम करें, कभी भी अखंड ज्योति के ऊपर से हाथ घुमा कर आरती ना लें क्यूंकि ज्योति माँ का स्वरुप होती है। हम सभी माँ के बच्चे हैं और बच्चे कभी भी माँ के सर पर हाथ नहीं फेरते, बल्कि माँ बच्चों के सर पर हाथ फेरती हैं।