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अखंड ज्योति का क्या महत्त्व है ?

श्रीमद्देवीभागवत पुराण के अनुसार नवरात्र में जलने वाली अखंड ज्योत देवी दुर्गा की ही शक्ति का स्वरुप होती है जो तीन महाशक्तियों को समर्पित होती है । दीपक में डाला गया गाय का शुद्ध घी धन-धान्य की देवी महालक्ष्मी का प्रतीक होता है। दीपक की बाती ज्ञान और बुद्धि की देवी महासरस्वती की प्रतीक होती है और जल रही लौ माँ ज्वाला अर्थात देवी महाकाली की प्रतीक होती है। इन तीनों महाशक्तियों के ही प्रभाव से संसार में सभी शक्तियां विद्यमान हैं। अखंड दीप के नीचे की ओर देवी की चौंसठ योगनियां, मध्य में नव दुर्गा और ऊपर की ओर दस महाविद्या सूक्ष्म रूप से विद्यमान होती हैं । साथ ही घर के अंदर साक्षात हनुमान जी महाराज और घर के बाहर बाबा क्षेत्रपाल भैरव ज्योति की रक्षा में सदैव तत्पर रहते हैं।

 

इसलिए संभव हो तो नवरात्र के दौरान माँ भगवती के घर में वास हेतु अखंड ज्योति अवश्य प्रज्जवलित करनी चाहिए। आज भी देवी के सभी शक्तिपीठों में और सर्व विख्यात त्रिकूट पर्वत पर माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा में सोने और चांदी के पात्र में कई वर्षों से अखंड ज्योति जलती आ रही है। जो भी भक्त श्रद्धा भाव से माँ भगवती की अखंड ज्योति जलाकर माँ का आह्वाहन करते हैं, माँ जगदम्बा सदैव उनके कुल की रक्षा कर सुख-सम्पदा और अन्न-धन के भंडार भरती हैं।