रैहना माता राजस्थान के धौलपुर जिले के राजाखेड़ा तहसील में स्थित एक प्रसिद्ध देवी हैं। उनका मंदिर चंबल नदी के बीहड़ों के पास है और पांडवों की माता कुंती की आराध्य देवी मानी जाती हैं। यह क्षेत्र भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहाँ साल में एक 18 दिनों का लक्खी मेला लगता है। नवरात्र और करवाचौथ पर यहां काफी श्रद्धालु आते हैं।
राजस्थान के धौलपुर जिले में राजाखेड़ा तहसील में चंबल नदी के बीहड़ों के पास स्थित इस मंदिर में स्थानीय लोगो की विशेष आस्था है। भक्तों का मानना है कि माता की कृपा से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहाँ हर साल लगभग 18 दिनों का लक्खी मेला लगता है । इस स्थल से 15 किलोमीटर पूरब दिशा में चंबल नदी के उस पार अम्बाह कस्बा जिला मुरैना में कुतबवार नामक गांव है जो महाभारत काल में राजा कुंत भोज की कुंतलपुर राजधानी हुआ करती थी। कुंत भोज की पुत्री का नाम कुंती था, जो कृष्ण की बुआ थी। दुर्वासा ऋषि के प्रसाद स्वरूप कुंती किसी भी देवता का आहवान कर उसे बुला सकती थी।
क्षेत्र में प्रचलित कहानी के अनुसार यहां एक समय श्रीश्री 1008 नारायण गिरी जी महाराज की कीर्ति फैली हुयी थी जिन्होंने कुंतलपुर के घने जंगलों में देवी की अराधना कर उनसे साक्षात्कार किया था। महाराज ने इस क्षेत्र में 80 यज्ञों का आयोजन कर प्रत्येक स्थल पर देवी के मंदिरों की स्थापना की थी । महाराज की आराधना से यह देवी बाबा के साथ-साथ बालिका रूप में चलने लगी, जहां भी बाबा होते, देवी वही पहुंच जाती। यहां देवी अठखेलियां किया करती थी और बाबा देवी को पुत्री के रूप मानते थे। आज देवी के मंदिर के पास बाबा की मूर्ति विराजमान है । निर्वाण के बाद उन्हें कुंतलपुर में ही समाधिस्थ किया गया था जहां विशाल आश्रम है।