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भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी में प्रभु के दर्शन ही अद्भुत नहीं हैं, बल्कि यहाँ का “महाप्रसाद” भी अपने आप में चमत्कारिक और रहस्यमयी है। जगन्नाथ जी के महाप्रसाद को ‘अन्न ब्रह्म’ माना गया है जिसे एक के ऊपर एक रखे मिट्टी के नौ बर्तनों में पकाया जाता है। लेकिन रहस्य ये है, कि वैज्ञानिक धारणा के उलट सबसे ऊपर रखे बर्तन की समग्री सबसे पहले पक जाती है और उसके बाद क्रम से नीचे के बर्तन पकते हैं। इतना ही नहीं, यहां रोज लाखों भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। फिर भी कभी न तो प्रसाद कम पड़ता है और न ही ज्यादा बचता है। इसे भक्त प्रभु का चमत्कार मानते हैं।
यहां पर 3 तरह के प्रसाद बनते हैं, जिसमें से पहला होता है 'संकुदी प्रसाद,' इसे मंदिर परिसर के अंदर ही खाना होता है। दूसरा प्रसाद है 'सुखिला' जिसमें सूखी मिठाई और नमकीन होता है और इसे आप घर ले जा सकते हैं। तीसरा और सबसे विशेष है 'निर्मला प्रसाद'। मान्यता है कि जिसकी मृत्यु नजदीक हो या भयंकर बीमारी से पीड़ित हो उसे खिलाने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष प्राप्त होता है । इस प्रसाद को ‘कोइली बैकुंठ’ नाम के विशेष स्थान पर तैयार किया जाता है जो मंदिर के पास ही है।
यही है जगन्नाथ पुरी के महाप्रसाद का रहस्य-जहाँ आस्था, भक्ति और चमत्कार एक साथ मिलकर हर भक्त के जीवन को स्पर्श करते हैं।