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आदि कैलाश : 5 नवंबर से थम जाएगी एक मनोरम तीर्थयात्रा

उत्तराखंड की व्यास घाटी में आदि कैलाश में शिव-पार्वती मंदिर के कपाट पांच नवंबर अर्थात कार्तिक पूर्णिमा को रीति-रिवाज के साथ बंद हो जाएंगे। मंदिर समिति और प्रशासन के मुताबिक नवंबर में भारी बर्फबारी की संभावना को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। अब अगले वर्ष मई में मंदिर को दर्शन के लिए खोला जाएगा।

 

आगे बढ़ने से पहले पहले जान लीजिए कि कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश अलग-अलग स्थान पर हैं। इसलिए जरा भी कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है। कई बार लोग इन दोनों को एक समझ लेते हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं। दोनों दिखने में एक जैसे जरूर हैं लेकिन इनकी यात्रा अलग होती है।

 

दरअसल, आदि कैलाश उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अंतिम गांव में स्थित हैं। आदि कैलाश के जाने के लिए आपको न ही किसी वीजा की जरूरत है न ही भारत-चीन सीमा पार करने की। आदि कैलाश के दर्शन आप आराम से कर सकते हैं। आदि कैलाश और माउंट कैलाश पंच कैलाश का हिस्सा हैं।

 

पिछले कुछ अरसे से आदि कैलाश काफी प्रसिद्ध हुआ है। खासतौर पर तब से जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब साल 2023 में आदि कैलाश पहुंचे थे। प्रधानमंत्री ने यहां शिव मंदिर में पूजी की थी, साथ ही पार्वती सरोवर के किनारे बैठकर ध्यान किया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती माउंट कैलाश और आदि कैलाश दोनों जगहों पर निवास करते हैं। जो लोग माउंट कैलाश नहीं जा पाते वे आदि कैलाश के दर्शन करते हैं।

 

यह स्थान अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है, जो हर एक को मोहित कर लेती है। यहाँ की मनमोहक दृश्यावली - झिलमिलाती नदियाँ, हरे-भरे घाटियाँ और बर्फ से ढके पर्वत - हर मोड़ पर अत्यंत भव्य प्रतीत होती है। विशाल कैलाश पर्वत की पृष्ठभूमि इस स्थल को एक अलौकिक वातावरण प्रदान करती है, जो हर व्यक्ति को शांति की दुनिया में ले जाती है। आदि कैलाश को पंच कैलाश में से एक माना जाता है और यह मूल कैलाश पर्वत की प्रतिकृति है। यह स्थान भारत और तिब्बत की सीमा के पास है। आदि कैलाश को कैलाश पर्वत का लघु रूप भी कहा जाता है। जो भी श्रद्धालु इस स्थान की यात्रा करते हैं, उनके लिए यह एक आध्यात्मिक अनुभव और रोज़मर्रा की भाग-दौड़ से दूर एक आत्मिक विश्राम का स्थल बन जाता है। यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।

 

आमतौर पर मई के मध्य में आधिकारिक रूप से आदि कैलाश यात्रा की शुरुआत होती है और इसके लिए यात्रियों को इनर लाइन परमिट की जरूरत पड़ती है। ये परमिट कई दिनों पहले से बनने शुरू हो जाते हैं। 

 

:- विजय शर्मा