Sanskar

माघ मेले की तैयारियां : पुलिस लाइन के लिए भूमि पूजन से श्रीगणेश

प्रयागराज में महाकुंभ मेले के बाद अब बारी है माघमेले की। संगम की रेती पर माघ मेले की तैयारियों का श्री गणेश हो चुका है और इसी कड़ी में प्रयागराज पुलिस कमिश्नरेट की ओर से पुलिस लाइन बनाने के लिए भूमि पूजन किया गया। श्री बड़े हनुमान मंदिर के महंत बलवीर गिरि जी महाराज ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भूमि का पूजन किया।

 

गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर पौष पूर्णिमा (तीन जनवरी, शनिवार) से माघ मेले का शुभारंभ होगा। 15 जनवरी बृहस्पतिवार को मकर संक्रांति और 18 जनवरी रविवार को मौनी अमावस्या का मुख्य स्नान पर्व होगा। इसी तरह 23 जनवरी शुक्रवार को वसंत पंचमी और 1 फरवरी रविवार को माघी पूर्णिमा के बाद 15 फरवरी रविवार को महाशिवरात्रि स्नान के साथ माघ मेले का समापन होगा।

 

मेला क्षेत्र में सभी तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी गई हैं। भूमि को समतल करने का कार्य जोरों पर चल रहा है। इसके अलावा गंगा पर पीपे का पुल बनाने, मठ-संस्थाओं के शिविर बनाने, पेयजल पाइप लाइन और विद्युत व्यवस्था के लिए खंभों को लगाने का कार्य भी चल रहा है।

 

माघ मेला एक जीवंत और आध्यात्मिक रूप से लाखों हिंदुओं के हृदय में एक विशेष स्थान रखता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ (जनवरी-फरवरी) के महीने में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला यह त्योहार पर्व प्रयागराज में तीन पवित्र नदियों - गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर एकत्रित होकर मनाया जाता है । यह आयोजन केवल एक धार्मिक समागम ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो भारत की समृद्ध परंपराओं और आध्यात्मिक विरासत को प्रदर्शित करता है।

 

ऐसा कहा जाता है कि माघ मेले के दौरान संगम में पवित्र स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी मान्यता के  कारण, देश-विदेश से लाखों लोग इस भव्य आयोजन में भाग लेने आते हैं।

 

:- रजत द्विवेदी 

 

 

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माघ मेले की तैयारियां : पुलिस लाइन के लिए भूमि पूजन से श्रीगणेश

प्रयागराज में महाकुंभ मेले के बाद अब बारी है माघमेले की। संगम की रेती पर माघ मेले की तैयारियों का श्री गणेश हो चुका है और इसी कड़ी में प्रयागराज पुलिस कमिश्नरेट की ओर से पुलिस लाइन बनाने के लिए भूमि पूजन किया गया। श्री बड़े हनुमान मंदिर के महंत बलवीर गिरि जी महाराज ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भूमि का पूजन किया।

 

गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर पौष पूर्णिमा (तीन जनवरी, शनिवार) से माघ मेले का शुभारंभ होगा। 15 जनवरी बृहस्पतिवार को मकर संक्रांति और 18 जनवरी रविवार को मौनी अमावस्या का मुख्य स्नान पर्व होगा। इसी तरह 23 जनवरी शुक्रवार को वसंत पंचमी और 1 फरवरी रविवार को माघी पूर्णिमा के बाद 15 फरवरी रविवार को महाशिवरात्रि स्नान के साथ माघ मेले का समापन होगा।

 

मेला क्षेत्र में सभी तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी गई हैं। भूमि को समतल करने का कार्य जोरों पर चल रहा है। इसके अलावा गंगा पर पीपे का पुल बनाने, मठ-संस्थाओं के शिविर बनाने, पेयजल पाइप लाइन और विद्युत व्यवस्था के लिए खंभों को लगाने का कार्य भी चल रहा है।

 

माघ मेला एक जीवंत और आध्यात्मिक रूप से लाखों हिंदुओं के हृदय में एक विशेष स्थान रखता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ (जनवरी-फरवरी) के महीने में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला यह त्योहार पर्व प्रयागराज में तीन पवित्र नदियों - गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर एकत्रित होकर मनाया जाता है । यह आयोजन केवल एक धार्मिक समागम ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो भारत की समृद्ध परंपराओं और आध्यात्मिक विरासत को प्रदर्शित करता है।

 

ऐसा कहा जाता है कि माघ मेले के दौरान संगम में पवित्र स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी मान्यता के  कारण, देश-विदेश से लाखों लोग इस भव्य आयोजन में भाग लेने आते हैं।

 

:- रजत द्विवेदी