भारतीय धर्म शास्त्र और कर्म कांड में पितृ पक्ष को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस साल साल पितृ पक्ष की शुरुआत 01 सितंबर से हो चुकी है जो कि 17 सितम्बर तक चलेगी। ऐसा माना जाता है कि इसी पितृ पक्ष में हमारे पितर या पूर्वज धरती पर आते हैं इसीलिए उन्हें देव स्वरुप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए गए तर्पण, श्राद्ध और दिए गए दान से हमारे पितर प्रसन्न होते हैं और हमारे सांसारिक जीवन के सुखमय होने का आशीर्वाद देते हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान की गई गलती से हम पितृ-दोष के भागीदार बन जाते हैं इसीलिए पितृ पक्ष में इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि हम कोई ऐसा कार्य इस पितृ पक्ष में न करें जिससे हमें अपने पितरों की नाराजगी का शिकार होना पड़े।
पितृ पक्ष में न करें ये काम
- शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में किए गए तर्पण और श्राद्ध से पितरों को मुक्ति मिलती है इसलिए पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध का कार्य विधि पूर्वक और श्रध्दा के साथ करना चाहिए।
-अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो भी पितृ पक्ष के आखिरी दिन तर्पण कर सकते हैं और ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि हमारे पूर्वज किसी भी रूप में हमारे द्वार पर खड़े हो सकते हैं इसीलिए पितृ पक्ष के दौरान अपने द्वार पर किसी भी भिखारी, अतिथि या किसी भी आगंतुक का अनादर नहीं करना चाहिए।
- पितृ पक्ष के समय कोई भी नया सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष का समय अपने पूर्वजों को याद करने का और उनके प्रति शोक दिखाने का होता है।
- पितृ पक्ष में तर्पण करने वाले आदमी को अपने दाढ़ी और बाल नहीं बनवाने चाहिए। ऐसा करने पर पूर्वज नाराज हो सकते हैं।
- ऐसा भी माना जाता है कि पितरों को लोहे के पात्र में जल नहीं देना चाहिए ऐसा करने से पितर नाराज हो जाते हैं इसलिए उन्हें पीतल, फूल या तांबे के बर्तनों में जल दिया जाता है।
- ऐसी भी मान्यता है कि जो लोग अपने पितरों को जल देते हैं उन्हें इन दिनों किसी दूसरे के घर भोजन नहीं करना चाहिए। दूसरे के घर भोजन करने से भी पितर नाराज हो सकते हैं।
- पितृ पक्ष के दौरान मांस और मदिरा का भी सेवन नहीं करना चाहिए।